जबलपुर। कोतवाली पुलिस की गिरफ्त में आया 58 वर्षीय बिरजू महेश्वरी पिछले 25 वर्षों से सट्टा खिला रहा था। सीएसपी दीपक मिश्रा ने गुरुवार को प्रेसवार्ता में बताया कि वह इस पूरे नेटवर्क को इतने संगठित तरीके से अंजाम दे रहा था कि पुलिस को उसे पकड़ने में 15 साल लग गए। 2005 में तत्कालीन एसपी रहे उपेंद्र जैन के कार्यकाल में पहली बार सट्टे में गिरफ्तार हुआ था। 15 साल बाद बीते मंगलवार को उसके फ्लैट पर पुलिस ने दबिश दी, तो उसका काला-चिट्ठा सामने आया। सट्टे की बदौलत उसने बेटे को इंजीनियरिंग की पढाई कराई और रीवा में एक बड़ी खदान लेकर उसे दी है।बिरजू महेश्वरी जबलपुर सहित नरसिंहपुर, कटनी, सिवनी, सतना, उमरिया, मंडला, दमोह में रोज एक करोड़ का सट्टा खिलवाता था। इसमें से आधी रकम उसकी जेब में आती थी। सट्टे की रकम से उसने अकूत संपत्ति बनाई है। प्रारंभिक छानबीन में उसके नाम बेलखाडू में कई एकड़ जमीन, रीवा में माइंस की खदान, नागपुर में मकान, होटल में पार्टनरशिप उजागर हुई है। शहर में भी उसने कई जगह प्लाट व मकान ले रखे हैं। उसकी पूरी संपत्ति की सूची तैयार कराई जा रही है।
सीएसपी ने बताया कि जबलपुर सहित आठ राज्यों में सट्टे का नेटवर्क संचालित कर धनकुबेर बने बिरजू की बेनामी संपत्ति राजसात हो सकती है। उसने जबलपुर से लेकर रीवा-नागपुर तक बेनामी संपत्ति बनाई है। 15 साल बाद पुलिस की गिरफ्त में आए महेश्वरी के बैंक खातों और बेनामी संपत्तियों की सूची तैयार करने में पुलिस जुटी है। पुलिस दबिश के दौरान जब्त हुए 45 मोबाइलों की पिछले तीन महीने की सीडीआर निकलवाई जा रही है। खासकर इनकमिंग वाले 17 मोबाइलों से पता चलेगा कि उसके नेटवर्क से कितने लोग और कहां-कहां के जुड़े थे। बिरजू महेश्वरी शुरू से ही सट्टा खिलाने में वह तकनीक का प्रयोग कर रहा है। 2005 में उसके पास से लैपटॉप जब्त हुआ था। तब वह पूरा हिसाब-किताब इसी में लिखता था। फ्लैट में भी वह जिम की आड़ में सट्टा खिला रहा था। इसकी वजह से किसी को संदेह भी नहीं हुआ,अब सट्टा किंग बिरजू महेश्वरी की पूरी कुंडली खंगाली जा रही है और उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।