इंदौर। गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों तक शिक्षा की रोशनी पहुंचाने के लिए यदि कोई संगठन सरकारी जमीन मांगता है तो उसे नहीं मिल पाती है, लेकिन अमीरों के लिए स्कूल चलाने वाले सत्यसांई ट्रस्ट को बड़ा बांगड़दा जैसे महंगे इलाके में ढाई एकड़ जमीन आवंटित कर दी गई, जिसकी कीमत बाजार मूल्य के अनुसार करीब 200 करोड़ रु. होगी, लेकिन जब जिला प्रशासन ने स्कूल का भूभाटक 44 करोड़ रु. मांगा तो ट्रस्ट ने गणना की गलती बताकर फिर से गणना के लिए आवेदन दे दिया।
सत्यसांई स्कूल में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों का एडमिशन तक नहीं हो पता है। आम आदमी स्कूल में एडमिशन के लिए फार्म लेने के ही चक्कर लगाता रह जाता है और स्कूल की सीट फुल हो जाती है। स्कूल का संचालन सत्यसांई एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। ट्रस्ट द्वारा पिछले दिनों कलेक्टर इंदौर के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया गया। इस आवेदन में शैक्षणिक गतिविधियों के संचालन के लिए बड़ा बांगड़दा में जमीन आवंटित करने का आग्रह किया गया। ट्रस्ट द्वारा बड़ा बांगड़दा में सरकारी जमीन को मुफ्त में पाने के लिए यह आवेदन दिया गया।
कलेक्टर कार्यालय की ओर से इस आवेदन को परीक्षण उपरांत अपनी पॉजिटिव रिपोर्ट के साथ राज्य सरकार को भेजा गया। सरकार की ओर से इस आवेदन को स्वीकार करते हुए बड़ा बांगड़दा में ढाई हेक्टेयर सरकारी जमीन इस ट्रस्ट को शैक्षणिक उपयोग के लिए आवंटित करने का फैसला लिया गया। जब यह राज्य सरकार का आदेश इंदौर कलेक्टर कार्यालय पर आ गया तो फिर कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा मध्यप्रदेश नजूल निवर्तन निर्देश 2020 के नियम के अनुसार प्रीमियम और भूभाटक की राशि इस ट्रस्ट से लेने का फैसला लिया।
जब इस राशि की गणना की गई तो यह राशि 44 करोड़ रुपए हुई। यह राशि जमा करने के लिए ट्रस्ट को कलेक्टर कार्यालय की ओर से पत्र भेजा गया तो ट्रस्ट की ओर से कलेक्टर कार्यालय में एक आपत्ति लगाई गई कि आवंटित की गई जमीन में जो प्रीमियम और भूभाटक लिया जा रहा है उसकी गणना में गड़बड़ी की गई है। प्रीमियम और भूभाटक की गणना फिर से निष्पक्ष तरीके से कराई जाए। इस आवेदन के आधार पर कलेक्टर आशीष सिंह द्वारा प्रीमियम और भूभाटक की गणना के लिए नई कमेटी बना दी गई।
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