पीएम मित्रा टेक्सटाइल्स पार्क में जमीन सम्बन्धित गिले-शिकवे और विरोध दूर
इंदौर। औद्योगिक विकास केन्द्र इंदौर यानी एमपीआईडीसी (MPIDC) की 800 से ज्यादा हेक्टयर जमीन पर बन रहे पीएम मित्रा टेक्सटाइल्स पार्क (PM Mitra Textiles Park) के लिए अधिग्रहित जमीनों के लेकर कल स्थानीय किसानों की न सिर्फ गलत फहमी सहित सारे गिले-शिकवे दूर हो गए, बल्कि जो किसान पहले विरोध कर रहे थे, उन्होंने उनसे मिलने पहुंचे इंदौर सम्भाग आयुक्त और धार कलेक्टर (Indore Divisional Commissioner and Dhar Collector) के साथ बैठ कर दाल-पानिए के साथ भोजन किया और उनके साथ मिलकर पौधरोपण भी किया।
धार जिले की बदनावर तहसील के भैसोला और दोत्रेय गांव की सीमा में औद्योगिक विकास केन्द्र के औद्योगिक क्षेत्र में मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के अंतर्गत बनाए जा पीएम मित्रा टेक्सटाइल्स पार्क बनाने स्थानीय किसान गलत फ़हमियों के चलते विरोध कर रहे थे। इस कारण इस प्रोजेक्ट से सम्बंधित विकास कार्य शुरू नही हो पा रहे थे। मगर जब किसानों को बताया गया कि इस पार्क में उन्हीं के गांवों के लोगों को रोजगार और अन्य सुविधाएं दी जाएंगी।। इतना ही नहीं विकास कार्यों के दौरान और बाद में स्थानीय किसानों के टै्रक्टर ट्राली, जेसीबी मशीन से काम करवाए जाएंगे, उनका कहीं से कहीं तक कोई नुकसान नहीं होगा। इसके बाद किसानों और प्रशासन के बीच सहमति बनती चली गई और किसानों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठकर भोजन किया । गौरतलब है कि मेक इन इंडिया को बढ़ावा देते हुए केंद्र सरकार ने देश के 7 राज्यों में पीएम मित्रा मेगा टेक्सटाइल पार्क को मंजूरी दी है। पीएम मित्रा मेगा टेक्सटाइल पार्क तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र्र गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बनाए जा रहे हंै। कल किसानों की सहमति के बाद विकास कार्यों में तेजी आ गई है। पार्क में 6 लेन की एप्रोच रोड का काम शुरू कर दिया गया है।
500 करोड़ की लागत से बन रहा है पीएम मित्रा टेक्सटाइल्स पार्क
पीएम मित्रा टेक्सटाइल्स पार्क का लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। 827 हेक्टयर जमीन पर लगभग 20 बड़े उद्योग लगेंगे जो हजारों करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। एमपीआईडीसी के अधिकारियों के अनुसार इस पार्क से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर कम से कम 80 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। इस पार्क के कारण आसपास के गांवों का बड़ी तेजी से विकास तो होगा ही। यहां के कपड़े और गारमेंट्स जब विदेशो के बाजार में पहुंचेंगे तो यहां के तहसील और गांव नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकेगा।
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