जबलपुर। परिवहन विभाग ने घर बैठे ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन ट्रांसफर आदि की सुविधा शुरू की थी। हर प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया था। करीब तीन साल पहले हुई शुरुआत में ऑनलाइन आवेदन के बाद भी आवेदकों को आरटीओ कार्यालय के चक्कर काटना पड़ रहे हैं। पहले आरटीओ जाकर लाइसेंस और वाहन ट्रांसफर की प्रक्रिया होती थी। इसे बंद कर दिया गया है। अब सारथी पोर्टल से लाइसेंस और वाहन पोर्टल से वाहन ट्रांसफर का आवेदन ऑनलाइन होता है, लेकिन इसके बाद भी आवेदकों को कुछ प्रक्रिया के लिए कार्यालय आना अनिवार्य है। शुरुआत में विभाग ने कहा था कि धीरे-धीरे व्यवस्था में सुधार हो जाएगा, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका।
ट्रांसफर में वाहन और मालिक दोनों की पेशी
वाहन ट्रांसफर का आवेदन ऑनलाइन करने के बाद भी आवेदकों को वाहन लेकर आना पड़ता है। गाड़ी का फोटो बाबू करते हैं। इसके अलावा क्रेता-विक्रेता दोनों को पेश होना पड़ता है। शुरुआत में इस प्रक्रिया को ऑनलाइन ही करने का कहा था, लेकिन कर्मचारियों के विरोध के आगे इसे ऑफलाइन कर दिया गया। इस प्रक्रिया में एजेंट वसूली करते हैं।
ट्रायल के लिए भी कार्यालय के चक्कर
लर्निंग लाइसेंस प्रक्रिया ऑनलाइन है। बहुत हद तक लोग खुद ही लर्निंग लाइसेंस बना लेते हैं, लेकिन पक्के लाइसेंस में फोटो के अलावा ट्रायल देने आना पड़ता है। केंद्र की गाइडलाइन के तहत ड्राइविंग स्कूल से प्रशिक्षण लेने के बाद मिले सर्टिफिकेट से भी लाइसेंस बन सकता है।
तकनीकी समस्याएं भी हैं
लर्निंग और पक्के में तकनीकी समस्या भी आती है। दूसरी ओर, ऑनलाइन आवेदन की सुविधा पर भी एजेंटों का कब्जा है। नायता मुंडला आरटीओ कार्यालय के सामने दो बिल्डिंग में बड़ी संख्या में एजेंट बैठते हैं। ऑनलाइन की प्रक्रिया भी ये लोग ही करते हैं। ऑफलाइन में समस्या आने पर एवजी से सांठगांठ कर काम करवाते हैं। हर दिन करीब 300 लाइसेंस और इतने ही नाम ट्रांसफर होते हैं।
हेल्प डेस्क कर रही मदद
आरटीओ कार्यालय में हेल्प डेस्क है। अधिकारी पूरे समय कार्यालय में रहते हैं। आम आवेदकों को मदद मिलती है। वाहन ट्रांसफर में क्रेता-विक्रेता को आरटीओ कार्यालय आना पड़ता है।
जितेंद्र रघुवंशी, आरटीओ
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