महापौर की कमेटी ने दौरे कर खूब दावे भी किए, मगर निर्णय लेने में अक्षम साबित, शहरहित में फिर राजनीति आई आड़े
इंदौर। बड़े जोर-शोर के साथ महापौर (Mayor) और उनके द्वारा बनाई गई कमेटी ने सराफा चौपाटी शिफ्टिंग का हल्ला बोला, जो टांय-टांय फिस्स ही साबित हुआ। शहर के हर ऐसे निर्णयों की तरह यहां भी राजनीति आड़े आ गई और जिन सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए शिफ्टिंग के दावे किए गए उन पर कोई कार्रवाई भी नहीं हुई। अब हालांकि कमेटी का कहना है कि आचार संहिता लग गई है। ऐसे में चुनाव के बाद ही इस पर निर्णय लिया जा सकेगा। मगर परम्परागत दुकानों के अलावा जो नए ठेले या दुकानें लगी है उन्यें अवश्य हटाएंगे।
सराफा के सोना-चांदी व्यापारी एसोसिएशन (Gold and Silver Traders Association) से लेकर आसपास के तमाम कारोबारी संगठनों ने पिछले दिनों जोर-शोर से यह मांग की कि अब सराफा चौपाटी को कहीं और शिफ्ट किया जाए, क्योंकि अगर कोई आगजनी या ऐसी कोई बड़ी घटना हो गई तो वाहन ही नहीं पहुंच पाएंगे। दरअसल बड़ी संख्या में गैस सिलेंडरों का उपयोग सराफा चौपाटी में तो होता ही है, वहीं सराफा व्यापारियों द्वारा जो गढ़ाई सहित अन्य कार्य कारीगरों द्वारा किए जाते हैं उनमें भी ये गैस सिलेंडर लगते हैं। हालांकि अवंतिका गैस कम्पनी द्वारा सीएनजी गैस सप्लाय की प्लानिंग भी की गई, लेकिन उस पर भी फिलहाल कोई अमल नहीं हुआ है। दूसरी तरफ महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने पहले तो आयुक्त द्वारा गठित कमेटी को भंग करवा दिया और फिर महापौर परिषद् के सदस्यों को शामिल कर नई कमेटी गठित की। इस कमेटी के अध्यक्ष और महापौर परिषद् सदस्य राजेन्द्र राठौर से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कमेटी ने लगातार दौरे कर अपनी अनुशंसा महापौर को सौंप दी। मगर चूंकि इसी बीच लोकसभा चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। इसलिए शिफ्टिंग का निर्णय अब चुनाव बाद ही संभव हो सकेगा।
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