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सारदा चिटफंड समूह के मालिक सुदीप्त सेन ने जेल से कोर्ट को लिखा 21 पन्नों का पत्र

December 27, 2020

कोलकाता । राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले हजारों करोड़ रुपये के सारदा चिटफंड घोटाले की सुगबुगाहट एक बार फिर तेज हो गई है। एक तरफ सीबीआई ने कोलकाता पुलिस के पूर्व कमिश्नर राजीव कुमार को हिरासत में लेने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लगाई है तो दूसरी ओर सारदा चिटफंड समूह के मालिक सुदीप्त सेन ने जेल से 21 पन्ने की एक चिट्ठी लिखी है। गत 19 दिसम्बर को ही उनके द्वारा लिखी गई चिट्ठी कोलकाता के चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के पास पेश की गई है।

अंग्रेजी भाषा में लिखे इस पत्र में सेन ने दावा किया है कि वह कभी भी कोलकाता से भागना नहीं चाहते थे लेकिन एक राजनीतिक पार्टी से जुड़े प्रभावशाली नेता के दबाव में उन्हें न केवल अपनी कंपनी बंद करनी पड़ी बल्कि फरार भी होना पड़ा। माना जा रहा है कि उनका इशारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तत्कालीन सहयोगी मुकुल रॉय की ओर है। मुकुल फिलहाल भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। 2008 से 2013 के बीच जब चिटफंड कंपनियां बंगाल में फल-फूल रही थीं, तब मुकुल रॉय ममता के राइट हैंड थे और कई बार ऐसे आरोप लगे हैं कि चिटफंड कंपनियों से तृणमूल कांग्रेस के चुनावी फंड में करोड़ों रुपये ट्रांसफर करवाने में उनकी भूमिका बड़ी थी। अंग्रेजी में तीन भागों में लिखे गए 21 पन्नों के पत्र में सुदीप्त सेन ने सारदा-कांड के मुख्य षड्यंत्रकारियों का उल्लेख भी किया है। उसने दावा किया है कि वह कभी भी कोलकाता से नहीं जाना चाहता था। लेकिन राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेता के दबाव में सारदा को एक वित्तीय निवेश कंपनी बंद करने और कोलकाता छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। फरार होते समय इस समूह के निदेशकों में से एक देवयानी मुखर्जी उसके साथ थीं।

सारदा मामले के रिकॉर्ड में दर्ज पत्र की एक प्रति मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के न्यायाधीश और साथ ही सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, प्रधान मंत्री, सीबीआई के निदेशक और मुख्यमंत्री को भी भेजी गई है।

अदालत के सूत्रों से मिला जानकारी के अनुसार सुदीप्त ने पत्र में तीन से अधिक मुद्दों का उल्लेख किया। पहले भाग में, वह बताते है कि राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेताओं ने उन्हें कैसे लूटा गया था और अगले दो हिस्सों में वह सारदा बनाने के पीछे की कहानी बताते हैं। सुदीप्त सेन ने पत्र में यह भी लिखा कि कैसे जमाकर्ताओं का पैसा व्यापारियों और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेताओं के एक वर्ग को सौंप दिया।

पत्र में सुदीप्त सेन ने यह भी विस्तार से लिखा है कि उन्होंने कब और कैसे राजनीतिक नेताओं को नकद, बैंक ड्राफ्ट और चेक के माध्यम से रुपये दिए। उसके अनुसार अप्रैल 2013 में एक प्रभावशाली राजनीतिक नेता ने उन्हें सीबीआई को एक पत्र लिखने के लिए मजबूर किया और उस नेता की सलाह के बाद उन्होंने कोलकाता छोड़ दिया और फरार हो गया।

सुदीप्त सेन ने आगे दावा किया कि उसने कश्मीर से गिरफ्तारी के बाद सीबीआई और ईडी के जांच अधिकारियों को सब कुछ बता दिया था। लेकिन उसने आरोप लगाया है कि सभी सूचनाओं के बावजूद, किसी अज्ञात कारण से मुख्य षड्यंत्रकारियों और प्रभावशाली नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

पत्र के अंत में सुदीप्त सेन ने उनकी शारीरिक स्थिति के बारे में जानकारी दी। लिखा है कि वह बहुत बीमार है। किसी भी दिन कुछ भी हो सकता है। उसने यह भी गुहार लगाई है कि जांच जल्द ही समाप्त की जाए।

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