भोपाल। संत सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना (Sant Singaji Thermal Power Project) सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हो रही है। इसकी वजह यह है कि परियोजना की चार इकाइयों में से दो इकाइयां बंद पड़ी हैं। इसमें 660 मेगावाट (Megaavaat) की तीन नंबर इकाई हाई प्रेशर टरबाइन (High Pressure Turbine) में आई खराबी के कारण करीब 10 माह यानी करीब 300 दिन से बंद पड़ी है। जिसे दुरुस्त कराने के लिए निर्माता कंपनी एलएंडटी पावर (L&T Power) ने गुजरात भेजा गया था, मरम्मत के बाद इकाई दुरुस्त होकर वापस परियोजना लाया गया। इसी तरह 600 मेगावाट (Megaavaat) की इकाई नंबर दो भी 26 अप्रैल से बंद है, जिसे बंद हुए 35 दिन से ज्यादा हो चुके हैं।
अब अफसर इस इकाई को बिजली की मांग नहीं होने से बंद रखना बता रहे है। गौरतलब है कि 660 मेगावाट की तीन नंबर इकाई के 300 दिन से बंद रहने के कारण करीब दो हजार करोड़ रुपए की उत्पादन हानि और इकाई नंबर दो से 35 दिनों में करीब 216 करोड़ की उत्पादन हानि हुई है। कुल मिलाकर अब तक 2216 करोड़ रुपए की उत्पादन हानि इकाइयों के बंद रहने से एमपीपीजीसीएल को उठाना पड़ चुकी हैं। संत सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हो रही है।
बिजली उत्पादन प्रभावित
2020-21 में अमरकंटक थर्मल प्लांट का सालाना बिजली उत्पादन 88.34 फीसदी पीएलएफ रहा। सारणी की 10 और 11 नंबर यूनिट से 82 और 88.08 फीसदी पीएलएफ रहा। इसी तरह संजय गांधी थर्मल प्लांट बीरसिंहपुर से 500 मेगावाट की यूनिट 87.97 प्रतिशत पीएलएफ रहा। जबकि संत सिंगाजी प्लांट खंडवा की परियोजना के प्रथम चरण की 600 मेगावाट की 1 और 2 नंबर यूनिट का 48.28 फीसदी पीएलएफ और नवनिर्मित 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल 3 नंबर यूनिट का पीएलएफ मात्र 04.87 फीसदी ही रहा। इसी तरह 4 नंबर यूनिट का मात्र 09.88 फीसदी पीएलएफ पर बिजली उत्पादित हुई। वहीं वर्ष 2020-21 में परियोजना अपनी स्थिति को स्वयं बयां कर रही हैं। सूत्रों के मुताबिक विद्युत नियामक आयोग के मापदंडों के अनुसार सालाना कम से कम 85 फीसदी पीएलएफ (प्लांट लोड फेक्टर) बिजली बननी चाहिए। नहीं बनने से आयोग द्वारा दिए जाने वाले फिक्स चार्ज (नियत प्रभार) के 1392 करोड़ रुपए एमपीपीजीसीएल को मिलते हैं, लेकिन बिजली उत्पादन कम होने से 757 करोड़ रुपए की कटौती करने से शुद्ध हानि भी हुई।
रोटर परियोजना पहुंचा है
तीन नंबर इकाई का रोटर परियोजना पहुंचा है। इस इकाई से बिजली उत्पादन में एक महीने से ज्यादा समय लग सकता है। अगर इकाइयां चलती तो हम इतनी बिजली बना लेते। फिक्स चार्ज की जानकारी नहीं है, मुख्यालय से मिलेगी।
आरपी पांडे, पीआरओ, सिंगाजी पावर परियोजना, दोंगालिया
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