संजीत अपहरण व हत्याकांड में 30 लाख रुपये की फिरौती के मामले की जांच करने के लिए शनिवार को एडीजी बीपी जोगदंड पीड़ित परिवार से मिले। उन्होंने कई बिन्दुओं पर परिवार से बातचीत की है। इस दौरान पीड़ित परिजनों ने एडीजी की गाड़ी का घेराव कर दिया।
प्रदेश के मुख्यमंत्री कानपुर संजीत हत्याकांड के मामले में बेहद गंभीर है। इसके चलते शुक्रवार को एएसपी दक्षिण, सीओ समेत 11 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया था। एडीजी पुलिस मुख्यालय बीपी जोगदंड को जांच अधिकारी बनाया। वह इस मामले में अपनी रिपोर्ट शासन का देंगे।
पिता ने अधिकारी को बताया कि इस घटना में निलंबित इंस्पेक्टर रणजीत राय व एसपी दक्षिण अपर्णा गुप्ता की ओर से कार्रवाई को लेकर लापरवाही बरती गयी है। इस दौरान दिवंगत संजीत की मां कुसुम ने बताया कि गुमशुदगी लिखवाने के लिए कई दिनों तक थाने के चक्कर काटते रहे। दो दिन तक कार्रवाई न होने पर एसएसपी से गुहार लगाई गई, जिसके बाद भी पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
एसपी दक्षिण के कार्यालय के बाहर खड़े रहना पड़ता था। किसी भी पुलिस अधिकारी ने उनकी मदद नहीं की, सिर्फ आश्वासन देते रहे। पुलिस की लापरवाही की वजह से आज उनका बेटा उनके साथ नहीं हैं। पूछताछ के बाद जाते वक्त पीड़ित परिवार ने एडीजी की गाड़ी का घेराव किया। एडीजी के आश्वासन के बाद परिवार माना।
शनिवार को एडीजी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। यहां पर उन्होंने संजीत के पिता चमन सिंह से बिंदुवार घटनाक्रम और पुलिस की कार्रवाई के बारे में पूछा। उन्होंने यह भी पूछा कि फिरौती में दिए गए रुपये का इंतजाम कहा से और कैसे किया था। इससे पहले शुक्रवार शाम को उन्होंने स्वजनों से एक कमरे में अलग से आधा घंटे तक बात की थी।
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