आज साब मीडिया से बावस्ता दो हस्तियों की दो खबरें आप तलक पोचाने की कोशिश करेंगे। पेला जि़कर करेंगे जनसंपर्क महकमे के जॉइंट डायरेक्टर और अफसानानिगार जनाब संजय जैन साब का। जैन साब का अभी हाल ही में एक कहानी संग्रह आया है। ‘खुली दराज़ और बिखरी ख़ुशबुएंÓउनवान से आई इस किताब को प्रभात पब्लिकेशन ने छापा है। खुली दराज़ की कहानियों में लेखक ने सामाजिक तानेबाने और रिश्तों को उकेरती कहानियों को शामिल किया है। ये कहानियां हर उम्र के पढऩे वाले के लिए न सिर्फ पढऩे की गिज़़ा हैं बल्कि वो इसे जमा करके भी रखना चाहेंगे। खरगोन जि़ले की कसरावद तहसील के बाशिंदे संजय जैन साब बज़ातेखुद मज़ाहिया राइटर रहे हैं। उनके कई सटायर रिसालों में शाया हुए हैं। मिजाज़ से कमसुखन जैन साब को इस नई किताब के लिए दिली मुबारकबाद। उधर दूसरी तरफ तबियत की नासाज़ी के बावजूद राजुरकर राज साब भी कुछ न कुछ गुनते रहते हैं,कुछ बुनते रहते हैं। इंन्ने 27 बरस पेले एक माहाना रिसाले को शाया करना शुरू किया था।
तबियत की नासाज़ी की वजह से उनका ये रिसाला चार साल से नही छप पा रहा था। इस रिसाले का उनवान है ‘शब्द शिल्पियों के आसपास। अगले महीने से ये फिर से शुरू हो रही है। शुरुआत में इस रिसाले में अदीबों (साहित्यकारों) के साहित्य की खबरें छपती थीं। राजुरकर राज कहते हैं कि साहित्यिक खबरें सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया में अक्सर पढऩे को मिल जाती हैं। लिहाज़ा हमारी कोशिश रहेगी कि इस रिसाले में हम अदीबों की ज़ाती (व्यक्तिगत) जि़न्दगी के बारे में छापें। लिहाज़ा किसी अदीब का घरेलू पता या टेलीफोन नम्बर बदलने की खबरें भी इसमे होंगी। वहीं खुदानखास्ता किसी अदीब (साहित्यकार) की हारी-बीमारी या किसी हादसे में मुब्तिला होने की जानकारी भी हम देंगे। किसी अदीब को अवार्ड वगरैह मिलने की खबरें भी हम देंगे। साहित्यकारों के देश-विदेश में प्रवास की जानकारी भी शब्द शिल्पियों के आसपास में रहेगी। इस रिसाले में हमारे सूबे के अलावा पूरे मुल्क और विदेशों में बस चुके हमारे साहित्यकारों की पर्सनल खबरें दी जाएंगी। चार साल पहले इसकी हर महीने 800 प्रतियां छपती थीं। फिलहाल तीन चार सौ कापियों से फिर शुरुआत होगी। इन्हें पहले से बन चुके मेम्बरों को भेजा जाएगा। आप दोनों हजऱात को मुबारकबाद।
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