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बोनी कपूर का अनादर करने पर नागा वामसी पर बिफरे संजय गुप्ता, किया तीखा हमला

January 01, 2025

मुंबई। किसने सोचा था कि साल 2024 के आखिरी दिन हिंदी बनाम साउथ सिनेमा होगा? किसने ये कल्पना (Kalpna) की थी कि ये वो साल होगा, जब ‘भारतीय सिनेमा’ (Indian Cinema’) का बुलबुला फूटने लगेगा? एक ऐसा साल, जब तेलुगु फिल्म ‘पुष्पा 2: द रूल’, (‘Pushpa 2: The Rule’) भारत में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली हिंदी फिल्म बन गई हो. हिंदी बनाम साउथ सिनेमा की पहली झलक गालट्टा प्लस राउंडटेबल में देखने को मिली, जब तेलुगु निर्माता नागा वामसी ने बोनी कपूर से कहा, ‘अब समय आ गया है कि हिंदी सिनेमा ‘बांद्रा और जुहू’ से बाहर निकले और कैसे ‘हमने (तेलुगु सिनेमा) ने हिंदी सिनेमा को देखने का नजरिया बदल दिया है.’ ये बयान और बातचीत के दौरान उनका रवैया, जिसमें फिल्म निर्माता अर्चना कलपथी, सिद्धार्थ, डॉन पलथारा और चांदिनी साशा भी शामिल थे, कई लोगों को पसंद नहीं आया. इन्हीं में से एक फिल्म निर्माता संजय गुप्ता भी शामिल थे.



फिल्म ‘कांटे’ के निर्देशक संजय गुप्ता ने नागा वामसी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘यह अभद्र व्यक्ति कौन है, जो बोनी जी जैसे वरिष्ठ निर्माता के बगल में बैठकर अपनी नकली घमंड के साथ उनका अपमान कर रहा है? उसकी बॉडी लैंग्वेज और डिस्कस्टिंग एटीट्यूड देखो. 4 या 5 हिट्स देने से ये बॉलीवुड के बाप नहीं बनेंगे, ना बन सकते हैं.’

नागा वामसी के बॉडी लैंग्वेज पर उठाए सवाल
संजय गुप्ता ने नागा वामसी के बॉडी लैंग्वेज पर भी सवाल उठाया और पूछा कि क्या वह वरिष्ठ तेलुगु निर्माताओं जैसे अल्लू अरविंद और सुरेश बाबू के सामने भी ऐसा ही करते?

‘क्या उसमें इतनी हिम्मत है कि वह अल्लू अरविंद को…’
उन्होंने आगे लिखा- ‘क्या उसमें इतनी हिम्मत है कि वह अल्लू अरविंद सर या सुरेश बाबू सर जैसे वरिष्ठ निर्माताओं के सामने बैठकर इस तरह से बात कर सके और उनकी ओर उंगली दिखा सके? सफलता से पहले सम्मान करना सीखो.’ उन्होंने साउथ इंडियन सिनेमा के निर्माताओं की भी तारीफ की जो हमेशा ‘विनम्रता और अनुशासन’ का प्रतीक होते हैं. ‘हमने दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माताओं के साथ काम करते हुए सबसे पहले विनम्रता और अनुशासन सीखा. घमंड का अभद्र प्रदर्शन उनसे कभी उम्मीद नहीं की जा सकती.’

कैसे शुरू हुई बहस
राउंडटेबल में बोनी कपूर को सबसे ज्यादा नागा वामसी की इस बात से आपत्ति हुई कि हिंदी सिनेमा ने हाल के दिनों में ज्यादा कुछ नहीं किया है और यहां तक कि हिंदी की बड़ी सफलताओं में भी साउथ का मजबूत कनेक्शन था. हालांकि, बोनी ने यह बताने की कोशिश की कि हिंदी सिनेमा का अभी भी एक मजबूत इतिहास और सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड है. वहीं, वामसी ने यह साबित करने की कोशिश की कि समय बदल रहा है. वास्तव में, उन्होंने यहां तक कहा कि ‘पुष्पा 2’ की ब्लॉकबस्टर सफलता के बाद हिंदी सिनेमा के फिल्म निर्माताओं की नींद उड़ गई होगी, खासकर पहले रविवार को जब इसने 80 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की थी.

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