भोपाल: अयोध्या में जल्द ही राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है जिसको लेकर ना सिर्फ तैयारियां जोरों पर हैं बल्कि राजनीति भी लगातार गर्म है. बीते दिनों उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने राम मंदिर पर बड़ा बयान देते हुए कहा था कि चारों शंकराचार्य वहां नहीं जा रहे हैं. मंदिर अभी अधूरा है और अधूरे मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जानी चाहिए. इस बयान के बाद से मंदिर को लेकर विवाद बढ़ गया है. इसी बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि संघ देश के सभी धार्मिक स्थानों पर कब्जा करना चाहता है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस मंदिर निर्माण धर्माचार्यों को सौंपना चाहती थी ना कि राजनैतिक लोगों को. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव का जिक्र करते हुए कहा कि पूर्व पीएम नरसिम्हा राव को इसीलिए चारों शंकराचार्य जी के साथ रामानन्द सम्प्रदाय के स्वामी रामनरेशाचार्य जी महाराज को सदस्य बना कर रामालयन्यास का गठन किया था और सबसे वरिष्ठ द्वारिका और ज्योतिषापीठ के शंकराचार्य स्व स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज को उसका अध्यक्ष बनाया था. मैने पहले भी कहा था कि संघ देश के सभी धार्मिक स्थानों पर कब्जा करना चाहता है. यह लोग सदियों पुरानी परंपराओं को समाप्त कर रहे हैं. यह लोग समाज में फूट डालो राज करो की राजनीति कर रहे हैं.
चंपत राय पर लगाया आरोप
दिग्विजय सिंह ने चंपत राय पर गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि चंपत राय ने संघ के प्रचारक हैं और उन्होनें राम भक्तों के चंदे से ज़मीन ख़रीदी में घपला कर भ्रष्टाचार किया. अब राम मंदिर के संचालन कर राम भक्तों की श्रद्धा से चढ़ाई हुई भेंट पर वह बीजेपी का प्रचार प्रसार करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरी सभी लोगों से प्रार्थना है कि धर्म से राजनीति अलग करे और सर्व धर्म सम भाव का पालन करें.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का बयान
उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने राम मंदिर पर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में चारों शंकराचार्य नहीं जाएंगे. मंदिर अभी पूरी तरह से बना नहीं है, इसलिए आधे-अधूरे मंदिर में भगवान को स्थापित किया जाना धर्म संम्मत नहीं है. उन्होंने कहा कि हम एंटी मोदी नहीं है लेकिन हम एंटी धर्म शास्त्र भी नहीं होना चाहते. शंकराचार्य केवल धर्म व्यवस्था देते हैं. चंपत राय को जानना चाहिए कि शंकराचार्य और रामानंद संप्रदाय के धर्मशास्त्र अलग-अलग नहीं होते. अगर ये मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो वहां चंपत राय और दूसरे लोग क्यों हैं? वे लोग वहां से हट जाएं और मंदिर रामानंद संप्रदाय को सौंपे.
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