भोपाल। संघ द्वारा अपने विस्तार के लिए तीन हजार विस्तारकों की भर्ती की गई है। यह विस्तारक संघ का न केवल विस्तार करेंगे, बल्कि युवाओं को भी साथ जोडऩे का काम करेंगे। दरअसल संघ की योजना है कि जब दो साल बाद 2025 में शताब्दी वर्ष मनाया जाए, उसके पहले देश के सभी मंडलों में शाखा लगना शुरू हो जाए। इसके लिए ही 3 हजार से अधिक शताब्दी विस्तारकों की भर्ती की गई है। प्रदेश में बीते एक साल से लगातार संघ प्रमुख के दौरे हो रहे हैं। उनके इन दौरों को भाजपा के चुनावी मिशन से जोड़कर देखा जाने लगा है। संघ सीधे तो कोई राजनैतिक गतिविधि नहीं करता है, लेकिन कहा जाता है कि वह पर्दे के पीछे से भाजपा के लिए कार्ययोजना बनाने से लेकर कामकाज को लेकर सुझाव देने का काम करता है।
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते ही प्रदेश में भाजपा के साथ संघ से जुड़े संगठनों की गतिविधियां भी एकाएक बेहद तेज हो गई हैं। वैसे तो संघ प्रमुख मोहन भागवत के प्रवास कार्यक्रम कई महीने पहले ही तय कर लिए जाते हैं। ऐसे में इसे संयोग ही कहा जा सकता है कि इस साल अब तक उनका मप्र में आधा दर्जन से अधिक बार प्रवास हो चुका है। दरअसल प्रदेश में कई शहरों में संघ के अलग-अलग कार्यक्रम हो चुके हैं। आरएसएस के शताब्दी वर्ष से जुड़े कार्यक्रमों की रूपरेखा भी बन रही है। अगले दो साल तक संघ ने भोपाल सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में शाखाएं बढ़ाने से लेकर अन्य गतिविधियां बढ़ाने का संकल्प जताया है। समान राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के अलावा धर्मांतरण और लव जिहाद जैसे मुद्दों पर संघ अपनी अखिल भारतीय बैठकों में खुलकर विचार व्यक्त कर चुका है। भोपाल में पिछले दिनों भागवत ने प्रज्ञा प्रवाह एवं विश्व विभाग के शिविर के जरिए अनेक मुद्दों पर संघ के विचार जाहिर किए थे। भारत से बाहर कई देशों में कार्यरत संघ के महिला सेविका एवं स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण शिविर भोपाल में आयोजित हो चुका है। पूर्व में भोपाल के अलावा इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, चित्रकूट और रायपुर में भी भागवत के कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं। भागवत के बाद भोपाल में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के भी दो प्रवास हो चुके हैं।
जल का बताया महत्व
अंतरराष्ट्रीय सुजलाम जल महोत्सव सम्मेलन में सर संघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने जल का महत्व बताते हुए कहा कि पंच महाभूतों में पैदा हुए असंतुलन से उत्पन्न विकृतियों के संकट से उभरना जरूरी है। हमें जल का अनादर नहीं करना चाहिए। प्रकृति का सम्मान हो । सदैव पूजा की जानी चाहिए। जल का विषय गंभीर है और हमें इस बात की प्रमाणिकता से लोगों को अवगत कराना होगा। अपनी शक्ति के अनुसार पंच महाभूतों पर अलग-अलग स्थानों पर काम करना जरूरी है। मनुष्य में अहंकार नहीं आना चाहिए। हमें पहले अपने आप में शुद्ध होकर प्रकृति को बचाने की हर प्रकार से कोशिश करना चाहिए। चाहे हमारी खेती के धंधे की पद्धति में बदलाव ही क्यों न करना पड़े। हमें अधिक से अधिक जैविक खेती करने की आवश्यकता है। प्रकृति का सम्मान करना आवश्यक है। इसका अंधाधुंध दोहन करें। उन्होंने कहा, देश में जल के संकट होने से विचार-विमर्श करने के लिए संगोष्ठियां आयोजित की जा रही हैं। संकट से उबरने अपने-अपने स्तर पर उपाय ढूंढऩा जरूरी है। मनुष्य ने प्रकृति पर विजय पाने की कोशिश करते रहने से पंच महाभूतों पर संकट आने लगा है। पंच महाभूतों की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से पूजा करना आवश्यक है। उन पर नियंत्रण कर हमारे स्वभाव को बदलकर उनकी रक्षा की जाना चाहिए हमें इस दिशा में प्रयत्न करना चाहिए।
दो काम का आह्वान
संघ प्रमुख ने जल बचाने दो काम करने का आह्वान किया। जो जल संरक्षण के काम में लगे हैं वह अपने जैसे पांच व्यक्ति और तैयार करें। जिन्होंने इस दिशा में काम शुरू नहीं किया, वह अपने घर से ही इसकी शुरूआत करें। जल बचाने के लिए बड़े नहीं, जहां से हो वहां से शुरूआत करें। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा, हमारी सभ्यता को बचाने के लिए ऋषि मुनियों ने समय-समय पर महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। पंच महाभूत को बचाने समय-समय पर सरकार अपना कार्य कर ही रही है, परन्तु इसमें सबकी जागरूकता और सहभागिता भी जरूरी है। हमारी पहली पाठशाला हमारा परिवार है। इसके बाद शिक्षा पद्धति से भी व्यक्ति बहुत कुछ सीखता है। इसी के साथ धर्मगुरु, सामाजिक संस्थाएं भी अपने-अपने ढंग से पंच महाभूतों पर कार्य कर रही है। आने वाले समय में जल की उपलब्धता बाधित न हो, इस प्रकार से हम सब मिलकर कार्य कर रहे हैं। एनजीटी के चेयरमैन आदर्श कुमार गोयल ने नदियों के संरक्षण को लेकर जमीनी स्तर पर काम करने की आवश्यकता जताई।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved