संदेशखाली (Sandeshkhali)। मुख्यमंत्री ममता (Chief Minister Mamata Didi) दीदी एसी कमरे (AC rooms) में बैठकर कह रही हैं कि मुंह छिपाकर बात करने वाली महिलाएं बाहर से हैं, तो हम बताना चाहते हैं कि यह स्थिति भी उनके ही पार्टी के नेताओं की वजह से हुई है। उनके ही शह पर तीन दरिंदों ने हम संदेशखाली (Sandeshkhali) की महिलाओं की यह हालात बनाई है। यह कहते हुए हुए गुस्से में लाल हो जाती हैं, उत्तम सरदार (Uttam Sardar), शिबु हाजरा (Shibu Hazra) और उनकी सरगना शेख शाहजहां (Sheikh Shahjahan) से पीड़ित महिलाएं। कहती हैं, हमें धमकी मिलती थी, रात को मीटिंग में आ जाना, नहीं तो तुम्हारे लिए सफेद साड़ी तैयार रखी है। रोते हुए महिलाओं ने कहा-दरिंदगी की दास्तां बहुत लंबी है। पिछले कई वर्षों से जारी है। मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए कहती हैं, अगर हिम्मत है तो गांव आएं। इन तीनों की तुरंत गिरफ्तारी और कठोर से कठोर सजा देने की मांग महिलाओं की है।
दर्द समझने के बजाय हम पर ही लगा रहे लांछन
एक पीड़िता ने कहा, मुख्यमंत्री खुद एक महिला हैं। वे महिला होकर भी महिला का दर्द समझने के बजाय हम पर ही किस-किस तरह का लांछन लगा रही हैं। कहती हैं, ठीक है कुछ समय के लिए मान लेते हैं कि वे महिला नहीं हैं। मुख्यमंत्री तो हैं। एक मुख्यमंत्री का क्या धर्म है। क्या वे राजधर्म निभा रही हैं। उनके प्रदेश के आदिवासी महिलाओं पर यौन उत्पीड़न हुआ। हमारे साथ शिबु हाजरा, उत्तम सरदार और शेख शाहजहां ने गलत किया, और इससे अधिक हम क्या कह सकते हैं। और उनको क्या सुनना है। स्त्री के पास केवल उसका स्त्रीत्व ही सबसे बड़ी पूंजी होती है, हमने दुनिया से उसे बचाने की गुहार लगाई, लेकिन मुख्यमंत्री हम पर ही इल्जाम लगा रही हैं।
सच्चाई खुल न जाए, इसलिए समितियों को रोक रही हैं दीदी
एक पीड़ता ने कहा, जांच करने के लिए कई समितियों आना चाहती हैं, लेकिन यहां से करीब दस किलोमीटर दूर ही बैरिकेट्स लगाकर रोक लेते हैं। ताकि वे हमारे गांव में नहीं आ सकें। क्योंकि अगर जांच समितियां आएंगी तो सच्चाई पूरे देश के सामने आ जाएगी। ममता दीदी आखिर डर क्यों रही हैं। आने दीजिए समितियों को, रोक क्यों रही हैं। इसका मतलब ही है कि यहां पर बहू-बेटियों पर अत्याचार हुआ है।
धामाखाली से नाव में सवार होकर इच्छामति नदी पार करके संदेशखाली जाना होता है। एक छोटा सा गांव है। नदी पार करते ही लोग उत्पीड़न को लेकर बात तो करते हैं, लेकिन बहुत शांत मन से लेकिन थोड़ी बात करते ही उनके चेहरों पर गुस्सा दिखने लगता है। नाव चलाने वाले मल्लाह ने भी कहा, भगवान के घर पर देर है अंधेर नहीं।
पुलिस कहती है, शेख से बात करो…वही न्याय करेंगे
एक पीड़िता ने कहा, शेख शाहजहां मीटिंग के लिए बुलाते थे। जो सुंदर महिला होती थी, उनको बिठा लेते थे और बाकियों को भेज देते थे… फफकते हुए कहती हैं…वो महिला लौटती कब थी, आपको बता नहीं सकते। यह केवल एक दिन की बात नहीं है। रोजाना इस तरह की घटनाएं होती हैं लेकिन सब चुप रहती हैं सिर्फ इज्जत के ख्याल और समाज के डर से। हम बाल बच्चे वाले हैं। कैसे आगे बढ़कर यह बात बताऊं। पुलिस को शिकायत करो तो वे कहते हैं, शेख से बात करो, या फिर पहले शिबु या उत्तम सरदार से बात करो। वे ही तुमको न्याय देंगे। हम थक गए हैंं। कभी पार्टी के नाम पर, कभी किसी बहाने बुलाते। अगर मना करते तो कहते, अगर नहीं आए तो सफेद साड़ी तैयार रखना। तुमको फिर पूरा जीवन वही पहनना पड़ेगा। अगर हम नहीं जाते तो पतियों पर अत्याचार करते। सफेद साड़ी का डर, आप समझ सकते हैं…।
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