इंदौर। हर साल मानसून में रेत खदानें बंद कर दी जाती है। इस बार भी आधी रात से इन पर रोक लगाते हुए अब 30 सितम्बर तक खदानें बंद ही रहेंगी। यानी रेत का उत्खनन नदियों से भी नहीं हो सकेगा। सभी जिलों के कलेक्टरों को राज्य स्तरीय पर्यावरण निर्धारण प्राधिकरण यानी सिया के निर्देश जारी कर दिए हैं और इस संबंध में भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की गाइड लाइन भी जारी की गई है, जिसमें मौसम विज्ञान केन्द्र नागपुर ने मध्यप्रदेश में मानसून ऋतु की अवधि 15 जून से 1 अक्टूबर निर्धारित की है।
रेत खनन पर लगी रोक के चलते आज से ही रेत की आवक में जहां कमी होगी, वहीं उसके भाव भी बढ़ जाएंगे। इंदौर रेती मंडी व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पप्पू जाट का कहना है कि रेत के दामों में वैसे ही लगातार बढ़ोतरी होती रही और अभी जो 72-73 रुपए घन फीट रेत आ रही थी, उसके अब आने वाले दिनों में 80-85 रुपए फीट तक के भाव हो जाएंगे। स्टॉक पर अभी रॉयल्टी इश्यू भी नहीं हुई है। वहीं दूसरी तरफ खनीज विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज श्रीवास्तव ने सभी कलेक्टरों को इस संबंध में आदेश दिए हैं, जिसमें सिया का 14 जून 2019 का परिपत्र भी भेजा है, जिसमें नदियों से रेत उत्खनन पर प्रतिबंध मानसून की अवधि में लगाया जाता है।
चूंकि अधिकांश कलेक्टरों ने अपने जिलों में मानसून की अवधि 30 जून मध्य रात्रि से 1 अक्टूबर निर्धारित की है और वैसे भी इंदौर सहित प्रदेशभर में मानसून सक्रिय हो भी चुका है। लिहाजा आज आधी रात से प्रदेश की सभी रेत खदानों का ईटीपी पोर्टल बंद कर दिया है, जिसके चलते खनन पर तो पूर्ण प्रतिबंध रहेगा ही। वहीं इन खदानों के पहुंच मार्ग भी बंद कराए जाने और जांच चौकियों पर सतत निगरानी करने को भी कहा गया है और अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं। सेटेलाइट ईमेज और ड्रोन सर्वे का उपयोग भी अवैध उत्खनन और परिवहन की मॉनिटरिंग में किया जाएगा। मानसून अवधि में सिर्फ रेत भंडारण ही संचालित रहेंगे। हालांकि कई ठेकेदारों ने अवैध खनन और रेत भंडारण को भी मैनेज विगत वर्षों में कर लिया था और पोर्टल से ईटीपी जारी कर आभासी यानी नकली स्टॉक बताया गया। लिहाजा इस बार सभी कलेक्टरों को कहा है कि वे जिले में स्वीकृत भंडारण, लाइसेंस स्थलों का ड्रोन के जरिए 7 जुलाई तक परीक्षण करवा लें, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जितने भंडारण की अनुमति ली गई है वास्तविक रूप में उतना ही रेत का भंडारण किया गया है। अगर उससे अधिक रेत का भंडारण मिलता है तो फिर नियमानुसार कार्रवाई की जाए। अब मानसून के सीजन में रेत की कमी के साथ अधिक दाम चुकाना पड़ेंगे, जिससे चल रहे निर्माण लागत में भी वृद्धि होगी।
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