इंदौर। एफडी (FD) कराने के बाद बैंक (Bank) द्वारा दी गई रसीद पर नाम नहीं देखना एक व्यक्ति को भारी पड़ गया। एफडी की मैच्योरिटी होने पर पैसे लेने गए श्रद्धाश्री कालोनी के रानू राय उर्फ आयुष राय को जब रसीद पर केवल आयुष राय नाम अंकित होने से बैंक ने पैसे देने से इनकार कर दिया तो उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि बैंक ऑफ इंडिया में 29 अप्रैल 2006 को उसने 50 हजार रुपए फिक्स डिपॉजिट किए थे। इसकी रसीद में उसका नाम आयुष अंकित है, जबकि उसके अन्य दस्तावेज में रानू दर्ज है। ये दोनों नाम उसी के हैं, लेकिन बैंक उसकी एफडी का भुगतान नहीं कर रही है। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका निरस्त कर दी कि दोनों नाम एक ही व्यक्ति के हैं। इसका परीक्षण उपलब्ध प्रमाण के आधार पर किए की आवश्यकता है। इसका निर्धारण करने के लिए सिविल कोर्ट जाना होगा।
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