संभल. संभल हिंसा (Sambhal violence) की जांच करने के लिए न्यायिक आयोग (Judicial commission) की टीम रविवार को यहां पहुंची. इलाहाबाद हाई कोर्ट (allahabad high court) के रिटायर्ड जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा (Retired Justice Devendra Kumar Arora) की अध्यक्षता में तीन सदस्यी कमेटी को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है. आयोग के दो अन्य सदस्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित मोहन प्रसाद और अरविंद कुमार जैन हैं. इन तीनों ने संभल में हिसा प्रभावित इलाके का दौरा किया. न्यायिक आयोग के तीनों सदस्यों ने संभल जामा मस्जिद के अंदर जाकर निरीक्षण किया. मुरादाबाद डिवीजन के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह और डीआईजी मुनिराज जी भी न्यायिक आयोग टीम के साथ मौजूद रहे.
इस दौरान भारी संख्या में पुलिसबल तैनात रही. पुलिस ने रस्सी के सहारे सुरक्षा घेरा बनाया था और इसके बीच में न्यायिक आयोग के तीनों सदस्य चल रहे थे. उन्होंने उस जगह का निरीक्षण किया, जहां 24 नवंबर की सुबह जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया था और उनके वाहनों में आगजनी की थी. संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिश्नोई ने घटनास्थल पर पहुंची न्यायिक आयोग की तीन सदस्यीय टीम को 24 नवंबर की हिंसा के बारे में ब्रीफिंग दी. दोनों ने जांच टीम के सामने उस दिन के हालातों से जुड़े तथ्य सामने रखे और बताया कि हिंसा की शुरुआत कैसे हुई.
न्यायिक आयोग यह पता लगाएगा कि संभल हिंसा के पीछे कोई सुनियोजित साजिश या अचानक हुई घटना थी. क्या पुलिस सुरक्षा के प्रबंध ठीक थे? किन कारणों से और किन हालात में हिंसा हुई उसकी वजह क्या थी? आगे भविष्य में ऐसी घटना न घटे इसके लिए उपाय क्या हो सकते हैं. मुरादाबाद के मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने कहा, ‘न्यायिक जांच समिति अपना काम करेगी, वही तय करेगी कि क्या करना है, हमें बस उनकी सहायता करनी है और सुरक्षा सुनिश्चित करनी है. टीम के सदस्य जिस स्थान पर जाएंगे वहां सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं. जांच समिति के अनुरूप ही हम व्यवस्थाएं करेंगे. संभल की स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है.’
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