लखनऊ। संभल (Sambhal) की शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid ) के सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचे मुस्लिम पक्ष (Muslim side) को तो राहत मिली है लेकिन हिन्दू पक्ष को भी बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने मुसलमान पक्ष को राहत देते हुए संभल कोर्ट को तब तक अगला कदम ना उठाने कहा है जब तक कि इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में मामले की सुनवाई ना हो जाए। वहीं हिन्दू पक्ष को इस आदेश से राहत मिली है कि कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष द्वारा सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने पर रोक लगाने की मांग यह कहकर खारिज कर दी है कि उसे सीलबंद और गोपनीय रखा जाएगा।
संभल शाही जामा मस्जिद कमिटी लोकल कोर्ट के आदेश के खिलाफ सीधे सुप्रीम कोर्ट गई थी और सर्वे के आदेश पर रोक लगाने की मांग कर रही थी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मुस्लिम पक्ष की याचिका के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किए बिना उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने कहा। सुप्रीम कोर्ट ने साथ में ये भी कहा कि मुस्लिम पक्ष की याचिका दाखिल होने के तीन दिन के अंदर सुनवाई के लिए लिस्ट कर ली जाए।
संभल में हिंसा का इनपुट पहले से था, कोई इंटिलिजेंस फेल्योर नहीं; कमिश्नर ने बताया कैसे हुआ बवाल
सुप्रीम कोर्ट को हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि संभल की अदालत में मामले की सुनवाई अब 8 जनवरी के लिए टल गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे भरोसा है कि हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले ट्रायल कोर्ट इस केस में कोई कदम नहीं उठाएगा। मुस्लिम पक्ष के वकील हुफेजा अहमदी ने कोर्ट से सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने पर रोक लगाने की मांग की। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मांग को ठुकरा दिया और कहा कि रिपोर्ट दाखिल होने पर रोक नहीं लगाई जा सकती। हालांकि उन्होंने आदेश दिया कि कोर्ट कमिश्नर की सर्वे रिपोर्ट सीलंबद दाखिल होगी और उसे खोला नहीं जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि मुस्लिम पक्ष की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) का अभी निबटारा नहीं किया है और इसे अपने पास भी लंबित रखा है। कोर्ट ने जनवरी के दूसरे सप्ताह में केस को लिस्ट करने कहा है। सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले पत्रकारों के मुताबिक केस की सुनवाई तो अब हाईकोर्ट में ही होगी लेकिन एसएलपी को अपने पास लंबित रखकर सुप्रीम कोर्ट अगली तारीख पर केस में अब तक क्या हुआ जैसी जानकारी हासिल कर सकता है। संभव है कि हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट अपने पास लंबित मामले का निबटारा कर दे।
बताते चलें कि संभल कोर्ट ने यूपी में नौ सीटों के उपचुनाव के मतदान से एक दिन पहले 19 नवंबर को दूसरे पक्ष को सुने बिना सर्वे का आदेश दे दिया था। संभल के डीएम-एसपी ने उसी रात पहला सर्वे भी करवा दिया। उस रात बवाल हुआ लेकिन मामला किसी तरह निपट गया। फिर उपचुनाव के नतीजों के अगले दिन 24 नवंबर की सुबह दूसरी बार सर्वे के दौरान बडे़ पैमाने पर मुसलमान सड़कों पर उतरे जिस दौरान हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। राज्य सरकार ने संभल हिंसा की मजिस्ट्रेटी जांच के बाद न्यायिक आयोग का भी गठन कर दिया है।
अब अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा, राजस्थान की अदालत ने मंजूर कर ली याचिका
हिन्दू पक्ष ने संभल कोर्ट में दाखिल मुकदमे में कुछ किताबों के आधार पर दावा किया है कि मुगल शासक बाबर ने सन 1526 में यहां बने हरिहर मंदिर को जमींदोज करके मस्जिद बनवा दिया था। वहीं मुस्लिम पक्ष ने 1991 के उपासना स्थल कानून का हवाला दिया है जिसके जरिए 15 अगस्त 1947 से पहले जिस पूजा स्थल का जो स्वरूप है, उसे बदला नहीं जा सकता। इस तरह का विवाद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह, धार के भोजशाला में सरस्वती मंदिर और कमाल मौलाना मस्जिद के बीच भी चल रहा है। ताजा मामला अजमेर की दरगाह का है जहां पहले शिव मंदिर होने के दावे के साथ दायर मुकदमे पर कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिया है। मुस्लिम पक्ष 1991 के पूजा स्थल कानून के आधार पर इस तरह के दावों को चुनौती दे रहा है।
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