नई दिल्ली (New Delhi) । आज माघ मास (Magh month) की शुक्ल पक्ष की रथ सप्तमी है। पद्म पुराण और भविष्य पुराण (Padma Purana and Bhavishya Purana) में रथ सप्तमी का बड़ा ही महत्व बताया गया है। ऐसी कथा है कि रथ सप्तमी के दिन ही भगवान सूर्य (lord sun) का सृष्टि में प्राकट्य हुआ था और धरती पर सूर्य की पहली किरण पड़ी थी। इसी कारण से रथ सप्तमी को भगवान सूर्य का जन्मदिवस और प्राकट्य दिवस भी कहते हैं। पद्म पुराण में बताया गया है कि सूर्य देव के जन्मदिवस माघ मास की सप्तमी तिथि को सूर्य देव की पूजा करने के साथ जो लोग सूर्यदेव (Sun god) को मीठा भोजन खीर, मालपुआ, अर्पित करते हैं उन पर सूर्यदेव की बड़ी कृपा होती है।
व्रत से निरोग रहता है शरीर
पद्मपुराण में बताया गया है कि सप्तमी तिथि के दिन सूर्यदेव की पूजा (worship) और व्रत करने से शरीर निरोग रहता है। सूर्यदेव की कृपा से करियर में उन्नति और तरक्की होती है। अगर आप साल की हर सप्तमी तिथि को सूर्यदेव का व्रत नहीं कर पाते हैं तो मास मास की रथ सप्तमी तिथि आपको सूर्यदेव का व्रत करना चाहिए और इस दिन नमक और तेल का त्याग करके मीठा भोजन करना चाहिए।
पद्मपुराण की मान्यता है कि माघ मास की रथ सप्तमी तिथि को जो लोग सिर्फ मीठा भोजन करते हैं और नमक का त्याग करते हैं वह पूरे साल सप्तमी तिथि के व्रत का पुण्य फल प्राप्त कर लेते हैं। जो लोग माघ मास की सप्तमी तिथि को मीठा भोजन करते हुए सूर्य देव की उपासना करते हैं उन्हें सूर्यदेव निरोग रखते हैं और कार्यक्षेत्र में अधिकारियों से तालमेल अच्छा रहता है। इस व्रत से करियर में भी उन्नति और तरक्की होती है। सूर्यदेव का संबंध हृदय से भी है। जो व्यक्ति माघ मास की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी को मीठा भोजन करते हैं उनके हृदय को भी सूर्यदेव बल प्रदान करते हैं। सूर्यदेव की इस दिन उपासना करने और नमक का त्याग करने से चर्मरोग से भी सूर्यदेव मुक्ति प्रदान करते हैं। और मृत्यु के बाद ऐसे सूर्य भक्त उत्तम लोक में स्थान पाते हैं।
रथ सप्तमी के दिन ब्राह्मण और भूखे व्यक्ति को भी मीठा भोजन करवाना चाहिए। साथ ही इस दिन गुड़, तिल का दान करना चाहिए। ऐसा करने से धन, धान्य में वृद्धि होती है।
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