इंदौर। इन दिनों कुलपति बनने की होड़ के चलते विश्वविद्यालय में कई तरह की अनियमितताएं हो रही है। पिछले दिनों अग्निबाण ने 55 करोड़ रुपए के ठेके में हुए भ्रष्टाचार का भी खुलासा किया था। इसी कड़ी में अब एक अन्य दावेदार ने अपने स्टाफ सदस्यों को पात्रता से अधिक वेतनमान मंजूर कर दिया, जिसके चलते शिकायत के बाद विश्वविद्यालय ने गोपनीय पत्र भेजकर वेतन वसूली के आदेश दे डाले।
इन दिनों कुलपति बनने की दौड़ में रोजाना नए नाम शामिल हो रहे हैं, लेकिन उनके साथ ही जुड़ी गड़बडिय़ां भी उजागर हो रही है। जीवाजीराव विश्वविद्यालय ग्वालियर की कुलपति डॉ. संगीता शुक्ला, जो दो बार से कुलपति है, वे भी इंदौर की देवी अहिल्या विवि में कुलपति की दौड़ में शामिल रही। राज्यपाल से पारिवारिक संबंध के अलावा वे प्रदेश के पूर्व डीजीपी और वर्तमान में सीबीआई चीफ ऋषिकुमार शुक्ला की चचेरी बहन भी है, लेकिन पिछले दिनों उच्च शिक्षा विभाग में उनके खिलाफ 55 करोड़ रुपए से अधिक के निर्माण कार्य, सिक्युरिटी एजेंसी को ठेका देने और कैटरिंग एजेंसी के ठेके में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत हुई थी, जिसमें रिटायर्ड जज डॉ. अनिल पारे की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनी, जिसमें सभी पक्षों के बयान लेकर रिपोर्ट विभाग को सौंप दी गई, जिसके चलते डॉ. संगीता शुक्ला का कुलपति बनने का दावा खटाई में पड़ गया। इसी तरह अभी एक और मामला प्रबंध संस्थान की डॉ. संगीता जैन का सामने आया, जिनके पति यूजीसी के सचिव हैं और कुलपति के लिए उनका दावा भी मजबूत माना जा रहा था, लेकिन अभी पूर्व कार्य परिषद् सदस्य अजय चौरडिय़ा ने प्रबंध संस्थान में स्टाफ सदस्यों के अनियमित वेतन का मामला उठाया, जिसमें डॉ. जैन पर आरोप लगाए कि उन्होंने अपने स्तर पर इन स्टाफ सदस्यों को उनकी पात्रता से अधिक वेतनमान मंजूर कर दिया और बढ़े हुए वेतन के साथ-साथ एरियर का भी भुगतान कर डाला और सक्षम अधिकारी की अनुमति भी नहीं ली। इस शिकायत की जांच होने पर मामला सही पाया गया और स्टाफ सदस्यों का वेतन फिर से निर्धारित करना पड़ा और विश्वविद्यालय ने गोपनीय पत्र भेजकर वेतन वसूली के आदेश भी दे डाले। लाखों रुपए की गड़बड़ी का मामला राजभवन तक पहुंच गया है, जिसके चलते अब डॉ. संगीता जैन के भी कुलपति बनने के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
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