भोपाल। मप्र के विधायकों का वर्तमान में मिल रही तनख्वाह से गुजारा नहीं चल रहा है। मौजूदा वक्त में उनको हर महीने मिलने वाली एक लाख दस हजार रुपए की सैलरी कम पड़ रही है। इसको देखते हुए प्रदेश सरकार चुनावी साल में विधायकों का वेतन और भत्ते बढ़ा सकती है। इसकी तैयारी कर ली गई है। सूत्रों के अनुसार विधायकों के वेतन भत्तों में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी की जा सकती है। वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्षों को पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरह सुविधाएं दिए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। विधायकों का स्वेच्छानुदान 25 लाख रुपये बढ़ाने के बाद अब वेतन-भत्ते में भी सात साल बाद वृद्धि की जा सकती है। भाजपा और कांग्रेस के विधायकों ने कई बार इसकी मांग कर चुके हैं। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने भाजपा के वरिष्ठ विधायक केदारनाथ शुक्ला की अध्यक्षता में समिति भी बनाई गई है, जिसकी प्रारंभिक बैठक भी हो चुकी है। जिस तरह मुख्यमंत्री ने स्वेच्छानुदान में वृद्धि की घोषणा सदन में की थी, वैसे ही वेतन-भत्ते ने वृद्धि की घोषणा एक-दो दिन में की जा सकती है। प्रदेश में अभी विधायकों को एक लाख 10 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन-भत्ता मिलता है। इसमें वृद्धि के लिए विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री की बैठक प्रस्तावित है, जिसमें इसमें अंतिम निर्णय होगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय तैयारी कर रहा
सूत्रों का कहना है कि समिति ने भले ही अभी सरकार से कोई अनुशंसा न की हो पर मुख्यमंत्री कार्यालय वेतन-भत्ते में वृद्धि की तैयारी कर रहा है। इसके लिए अन्य राज्यों में मिल रहे वेतन-भत्ते की जानकारी बुलवाई जा चुकी है। विधायकों के वेतन-भत्ते में वृद्धि के साथ भूतपूर्व विधायकों की पेंशन सहित अन्य सुविधाओं में भी वृद्धि प्रस्तावित है। जानकारी के अनुसार मप्र में 7 साल बाद विधायकों के वेतन-भत्ते बढऩे जा रहे हैं। अभी उन्हें हर महीने 1 लाख 10 हजार रुपए वेतन मिलता है, जो 40 हजार रुपए बढऩे वाला है। इससे वेतन 1.50 लाख रुपए महीना हो जाएगा। वेतन-भत्ते बढ़ाने के लिए सरकार ने अन्य राज्यों से जानकारी बुलाई है। इसके बाद वेतन-भत्तों व पेंशन पुनरीक्षण के लिए गठित समिति इस पर फैसला करेगी।
विधायकों को कम पड़ रही 1.10 लाख सैलरी
मीटिंग, सभाओं सैर सपाटे में बीस रुपए लीटर मिनरल वाटर पीने वाले मप्र के विधायक इन दिनों तनख्वाह को लेकर खासे परेशान है। उनको हर महीने मिलने वाली 1.10 लाख रुपए की सैलरी कम पड़ रही है। उनका बटुआ अब जबाब देने लगा है। किसी घर के गड़बड़ाते बजट की तरह उनकी तनख्वाह आधे महीने ही खत्म हो जाती है। ऐसा कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे विधायक पीसी शर्मा का कहना है। उन्होंने पिछले दिनों दिल्ली सरकार में माननीयों के वेतन-भत्ते में हुई बढ़ोत्तरी का हवाला दिया हैं। उनकी दलील है कि महंगाई के जमाने में उन्हें 24 घंटे आम जनता के बीच रहना पड़ता है, खर्चे बढ़ते ही जा रहे है, इसलिए विधायकों के वेतन में बढ़ोत्तरी की जाना चाहिए।
सीएम को 2 लाख तो कैबिनेट मंत्रियों को मिलते हैं 1.70 लाख रुपए
प्रदेश में 230 विधायकों में से 31 मंत्री है। मंत्रियों को वेतन सामान्य प्रशासन विभाग देता है। मुख्यमंत्री को 2 लाख रुपए तो कैबिनेट मंत्रियों को 1.70 लाख व राज्य मंत्रियों को 1.45 लाख रुपए मिल रहे हैं। शेष 199 विधायकों का वेतन भुगतान विधानसभा से होता है। इनमें विधानसभा अध्यक्ष का 1 लाख 87 हजार रुपए वेतन शामिल है। कुल वेतन में हर महीने 2 करोड़ 14 लाख रु. का खर्च आ रहा है। प्रस्तावित बढ़ोतरी के बाद 1 करोड़ रु. हर महीने अतिरिक्त भार आएगा।
इन राज्यों में मप्र से ज्यादा वेतन
इनके मानदेय बढ़ चुके
11 साल बाद प्रदेश के नगर निगमों के महापौर का मानदेय दो गुना कर दिया गया है यानी अब तक उन्हें 13500 रुपए मिलते थे, अब 27000 रुपए मिलेगा। यह मानदेय सिर्फ 16 में 5 से 6 महापौर को ही मिलेगा। जिला पंचायत अध्यक्षों को राज्यमंत्री का दर्जा मिला हुआ है। इनका मानदेय भी दो गुना कर दिया गया है और इन्हें अब 1 लाख रुपए मिलेंगे। अभी तक मानदेय और भत्तों के साथ इन्हें लगभग 30 से 40 हजार रु. ही मिल पाते थे।
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