उज्जैन। निजामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के 11वें वार्षिक मार्गदर्शक भंडारा कार्यक्रम के अंतिम दिन 17 मई को 13 अखाड़ों के महामंडलेश्वरों और संतों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर बाबात उमाकांत महाराज ने कहा कि संत समाज के मार्गदर्शक होत है और उन्हें देशहित के लिए काम करने की जरुरत भी है। उन्होंने सत्संग में बताया कि पिछले जन्मों में आप कहीं थे। अच्छे बुरे दोनों कर्म किये। अच्छे ज्यादा किये इसलिए मनुष्य शरीर मिला। पूरे गुरु नहीं मिलने पर बहुत से लोग बाहरी क्रियाओं में ही अपना अमूल्य जीवन खत्म कर दे रहे हैं और आत्मा का कल्याण नहीं हो पा रहा। इस तरह के सत्संग कार्यक्रमों में कर्म हल्के, काटे जाते हैं। जैसे ज्यादा गंदे कपड़े को साफ करने के लिए ज्यादा सोडा का स्पेशल साबुन बार-बार लगा कर रगड़ करनी पड़ती है ऐसे ही पुराने कर्मों को तन-मन-धन से सेवा करके काटा जाता है। बाबा जयगुरुदेव शब्द योग विकास संस्था द्वारा सभी 13 अखाड़ों और महामंडलेश्वर, साधु जनों का स्वागत सम्मान भी इसी कार्यक्रम में किया गया। आशीर्वचन के रूप में पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया की साधू लोगों को सुख शान्ति दिलाने के लिए भेजा जाता है।
सिंहस्थ सा नजारा
बाबा उमाकान्त महाराज के भक्तों के आगमन से उज्जैन का नज़ारा सिंहस्थ जैसा हो गया है जहाँ हर तरफ गुलाबी वस्त्र,गुलाबी टोपी, गुलाबी दुपट्टा नजऱ आ रहा है। आश्रम में जिधर नजऱ घुमाओ बस गुलाबी ही गुलाबी नजऱ आता है जिसने उज्जैन को जयगुरुदेव शहर का रूप दे दिया है।
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