इंदौर, राजेश ज्वेल। बीते 30-35 सालों से इंदौर भाजपा का सबसे मजबूत किला बन चुका है। बीते 9 लोकसभा चुनाव, जहां लगातार भाजपा ने जीते, वहीं विधानसभा चुनावों में भी अधिकांश सीटों पर उसे जीत मिलती रही है, तो शहर सरकार यानी निगम के चुनाव में भी लगातार यह पांचवां मौका है, जब जनता ने सीधे महापौर का चुनाव किया और भाजपा उम्मीदवार को ही जिताया, तो निगम में परिषद भी भाजपा की ही बनाई, क्योंकि 85 में से दो तिहाई से ज्यादा पार्षद भी भाजपा के ही जीतते रहे हैं। इस निगम चुनाव में भी इंदौरी गढ़ भगवा ही रहा और शहर से लेकर गांव तक भाजपा के खाते में अच्छी जीत दर्ज हुई। शहर के अलावा आठ नगर परिषदों के चुनाव परिणाम भी कल आए, जिसमें 6 जगह भाजपा को बहुमत और दो गौतमपुरा और हातोद कांग्रेस के खाते में गई है। मगर यहां जीते हुए निर्दलीय बाजी पलट सकते हैं। महापौर के चुनाव को लेकर अग्निबाण का आकलन सटीक साबित हुआ।
इंदौर नगर निगम के खाते में अपार उपलब्धियां हासिल हैं और लगातार पांच बार स्वच्छता में नम्बर वन तो रहा ही, वहीं वॉटर प्लस से लेकर खुले में शौच सहित स्मार्ट सिटी और अन्य मोर्चों पर भी इंदौर बाजी मारता रहा है। ऐसे में कोई कारण ही नहीं था कि निगम चुनाव में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़े। कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने चुनाव अच्छा लड़ा, मगर उनके साथ सत्ता, संगठन, संघ जैसी ताकत नहीं थी। उन्होंने अपने और टीम के बलबूते ही पूरी लड़ाई लड़ी, जबकि भाजपा के महापौर प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव के साथ पूरा संगठन और जमीनी कार्यकर्ता जुड़े रहे। भाजपा के ही मीडिया सेल से जुड़े आलोक दुबे का कहना है कि सभी 2250 मतदान केन्द्रों की संरचना इस तरह की गई थी कि एक-एक मतदाता तक प्रत्याशी और पार्टी की विचारधारा और हासिल उपलब्धियों को पहुंचाया गया।
2050 का इंदौर कैसा होगा, इसका विजन डॉक्यूमेंट पेश किया गया और यही कारण है कि समाज के हर तबके के अलावा 18 से 25 साल के युवाओं ने भी भाजपा के पक्ष में मतदान किया। अग्निबाण ने भी अपने आकलन में यह स्पष्ट कहा था कि कितनी भी विपरीत परिस्थितियां हों, लेकिन पुष्यमित्र के हारने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है, क्योंकि वार्ड और विधानसभावार हर तरह के आकलन में उनकी जीत तय की थी। चुनाव परिणाम भी लगभग उसी अनुरूप आए और इंदौरी गढ़ भगवा ही रहा। शहर से गांव तक भाजपा का राज कायम रहा। 64 वार्ड पार्षद, जहां भाजपा के जीते हैं। हालांकि पिछली परिषद की तुलना में एक वार्ड का नुकसान हुआ, तो कांग्रेस के खाते में 19 वार्ड आए हैं और उसे तीन वार्डों का फायदा हुआ है, वहीं दो वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी है, वहीं भाजपा के महापौर प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव ने 1 लाख 33497 मतों से अच्छी जीत हासिल की।
विधानसभा एक में संजय शुक्ला को हार का मुंह देखना पड़, जहां सुदर्शन गुप्ता ने जमकर मेहनत की और 20 हजार की लीड भाजपा उम्मीदवार को दिलवा दी। अंतिम तीन दिनों में संघ ने भी जो मैदान संभाला और उदयपुर-अमरावती की घटना को भी भुनाया गया। शहर के साथ-साथ गांव में भी भाजपा का राज कायम रहा। पंचायत चुनावों में भी भाजपा को इंदौर जिले में सफलता मिली, वहीं कल आठ नगर परिषदों के चुनाव में भी सांवेर, राऊ, देपालपुर, बेटमा, मानपुर, महूगांव में तो भाजपा को बहुमत मिल गया, वहीं गौतमपुरा और हातोद कांग्रेस के खाते में गई जरूर है, मगर वहां भी जीते हुए निर्दलीय प्रत्याशी बाजी पलट सकते हैं और इसमें भाजपा को अच्छी-खासी मास्टरी भी है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सपनों का शहर इंदौर भाजपा का अभेद्य किला एक बार फिर साबित हुआ।
जनता के बीच ही रहूंगा, गलतियों से सीखूंगा : संजय
मैंने अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी और भरपूर मेहनत की और इंदौर की जनता ने समर्थन भी कम नहीं दिया। अपने ही क्षेत्र में हारने के साथ अन्य कुछ जो गलतियां हुईं, उसकी समीक्षा कर उन्हें सुधारूंगा और जनता के बीच ही निरंतर सक्रिय भी रहूंगा। निगम चुनाव को लेकर जो वायदे किए, उसे अब भाजपा की परिषद से लड़-झगडक़र पूरे करवाऊंगा और सडक़ों पर भी संघर्ष जारी रहेगा। कांग्रेस के पराजित महापौर प्रत्याशी संजय शुक्ला की आंखों से आंसू भी छलक आए और उन्हें अपनी हार का अच्छा-खासा मलाल भी रहा।
नई उड़ान भरेगा इंदौर, 2050 की तैयारी : पुष्यमित्र
भाजपा के निर्वाचित महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि इंदौर शहर नई उड़ान भरने को तैयार है और 2050 का जो विजन डॉक्यूमेंट उन्होंने प्रस्तुत किया, अब उस पर तेजी से अमल किया जाएगा। मुख्यमंत्री के सपनों का यह शहर अब नई उड़ान भरने को है। मेट्रो के साथ-साथ शहर की यातायात समस्या, पानी, ड्रेनेज, पार्किंग के साथ-साथ जितने भी उन्होंने चुनावी वायदे किए हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा। देश-प्रदेश में चूंकि भाजपा की ही सरकार है, लिहाजा इंदौर को पूरी मदद मिलेगी और जनता से निरंतर संवाद भी होता रहेगा।
31 राउंड में आगे रहे भार्गव… सिर्फ 32 में रहे पीछे
महापौर प्रत्याशी के लिए 32 राउंड में मतगणना पूरी हुई। हालांकि पहले राउंड से ही पुष्यमित्र भार्गव ने लीड लेना शुरू कर दी थी, जो लगातार हर राउंड में बढ़ती रही और 31 राउंड तक उनकी यह लीड ना सिर्फ बरकरार रही, बल्कि एक लाख 33 हजार 497 मतों की हो गई। सिर्फ आखिरी 32वें राउंड में ही संजय शुक्ला को 126 वोट अधिक मिले। इस अंतिम राउंड में पुष्यमित्र को 891, तो संजय को 1017 वोट प्राप्त हुए। पुष्यमित्र को कुल 5 लाख 93 हजार 856 वोट प्राप्त हुए, तो संजय शुक्ला ने 4 लाख 60 हजार 359 वोट हासिल किए।
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