उज्जैन। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं निरंजनी अखाड़े के श्री महंत नरेन्द्र गिरी महाराज का संदिग्ध परिस्थितियों में एक दिन पूर्व निधन हो गया। यहाँ के साधुओं ने कहा कि कल खबर के बाद हमें सदमा लगा और ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वे फाँसी लगा लेंगे। कल शाम यूपी से जैसे ही अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी महाराज के संदिग्ध परिस्थितियों में देवलोक गमन की खबर आई तो शहर के आध्यात्म से जुड़े लोगों और संत समाज में शोक की लहर छा गई। शहर काजी से लेकर संतों ने इस पर शोक जाहिर करते हुए सिंहस्थ 2016 में नरेन्द्र गिरी महाराज द्वारा जिस तरह सभी अखाड़ों को साथ लेकर महापर्व संपन्न कराया गया, उसे सभी याद कर रहें हैं। इतना ही अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रहते नरेन्द्र गिरी महाराज ने सिंहस्थ 2016 से पहले ही उज्जैन आकर सबसे पहले शिप्रा शुद्धिकरण का मामला उठाया था। तब वे सभी 13 अखाड़ों की बैठक में शामिल होने आए थे। उन्होंने उसी दौरान अधिकारियों को भी शिप्रा शुद्धिकरण से लेकर सिंहस्थ क्षेत्र में साधु संतों और श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्था करने के लिए कहा था।
समय समय पर उन्होंने हमेशा सिंहस्थ क्षेत्र में लगातार हो रहे अतिक्रमणों पर चिंता जाहिर की। इतना ही नहीं दो माह पहले नये मास्टर प्लान में सिंहस्थ क्षेत्र का उपयोग आवासीय और व्यवसायिक कॉलोनी के रूप में किए जाने के प्रस्ताव पर भी उन्होंने नाराजगी जताई थी। अखाड़ा परिषद की ओर से इस प्रस्ताव का विरोध भी किया गया था। उन्होंने जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी अखाड़ा परिषद की ओर से सचेत किया गया था कि सिंहस्थ क्षेत्र के अतिक्रमण नहीं हटाए गए तो साधु संत आगामी 2028 के सिंहस्थ का बहिष्कार कर देंगे। नरेन्द्र गिरी महाराज हमेशा उज्जैन प्रवास के दौरान शिप्रा शुद्धिकरण और सिंहस्थ क्षेत्र के अतिक्रमणों पर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को उनका कर्तव्य याद दिलाया करते थे। उनके दुखद निधन पर सभी 13 अखाड़ों के संतों ने शोक जताया है।
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