नई दिल्ली। एमपीएमएलए कोर्ट ने सोमवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साले व पूर्व विधायक साधु यादव को तीन वर्ष की कैद व 16 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। मामला सरकारी कार्यालय में घुसकर परिवहन विभाग के अधिकारियों से बदसलूकी करने से जुड़ा है। एमपीएमएलए कोर्ट ने आईपीसी की धारा 347 में तीन वर्ष कैद व 5 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। जुर्माना नहीं देने पर एक माह की अतिरिक्त सजा होगी।
आईपीसी की धारा 353 में दो साल की कैद व 5 हजार रुपये जुर्माना, धारा 448 में एक साल की सजा व एक हजार रुपये जुर्माना, धारा 506 में 2 साल कैद व 5 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। साधु यादव के अधिवक्ता ने बताया है कि प्रोविजनल बेल लेकर पूर्व विधायक याचिका दायर करेंगे। गौरतलब है कि ये वही साधु यादव हैं, जिनकी लालू-राबड़ी राज में तूती बोलती थी। लालू के बिहार की सत्ता से बाहर जाने के बाद साधु के साथ बहन व जीजा के साथ रिश्ते बिगड़े तो वे राजनीति में अर्श से फर्श पर आ गए।
बिहार में लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी की सरकार के दौर में राबड़ी देवी के भाई व लालू के साले अनिरुद्ध यादव उर्फ साधु यादव की बड़ी हैसियत थी। शासन-प्रशासन में उन्हें लालू व राबड़ी का दायां हाथ माना जाता था। यूं कहें कि तब साधु यादव की बात का अर्थ था लालू व राबड़ी का आदेश। साधु को लालू ने विधान परिषद सदस्य व विधायक बनाया। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में साधु यादव गोपालगंज सीट से आरजेडी के सांसद भी बने। लालू ने अपने दूसरे साले सुभाष यादव को भी राजनीति में आगे बढ़ाया। लालू के दोनों सालों साधु व सुभाष की जोड़ी की धाक पूरे बिहार में थी।
लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने विवाह के बाद उनके मामा साधु यादव खुलकर बगावत पर उतर आए थे। उन्होंने तेजस्वी के पटना आने पर जूतों की माला से स्वागत करने की बात कही तो लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने मामा को अपनी हद में रहने, नहीं तो गर्दा छुड़ा देने की धमकी दी। साधु ने अपनी भाजियों, बहन राबड़ी देवी व जीजा लालू प्रसाद यादव के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया था।
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