जयपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट और राहुल गांधी की शुक्रवार को हुई मुलाकात के बाद अब इसे लेकर सियासी चर्चा शुरू हो गई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस मुलाकात के दौरान सचिन पायलट ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से करीब एक घंटे तक राजस्थान और देश के सियासी मुद्दों पर चर्चा की है। मुलाकात को सचिन पायलट को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देने से भी जोड़कर देखा जा रहा है। जानकारों की मानें, तो पायलट की राहुल से मुलाकात में संगठन चुनाव, गुजरात, हिमाचल चुनाव, राजस्थान में सत्ता और संगठन के हालात पर चर्चा हुई है। इसके साथ ही पार्टी संगठन को मजबूत करके नए वर्कर्स और यूथ को पार्टी से जोड़ने के रोडमैप बनाने को लेकर भी डिस्कशन हुआ है।
पायलट का कांग्रेस में बढ़ रहा कद
उल्लेखनीय है कि सियासी संकट के दौरान पार्टी आलाकमान के साथ बढ़ी पायलट की दूरियां अब लगभग खत्म हो गई है। आलाकमान की ओर से पायलट खेमे को मंत्रिमण्डल में शामिल किए जाने के बाद अब पार्टी पायलट को बड़े सहयोगी के तौर पर देख रही है। यही वजह है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पायलट ने स्टार प्रचारक के तौर पर पार्टी का प्रचार किया था। वहीं अब आगामी चुनाव में भी पार्टी पायलट के सुझाव के साथ जीतने की कवायद में जुटेगी।
राजस्थान हर हाल में जीतना जरूरी
जानकारों का कहना है कि अगले साल मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ और राजस्थान राज्य में चुनाव है। चूंकि छतीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस का शासन है, लिहाजा यहां कांग्रेस हर हाल में जीतना चाहती है। वहीं मध्यप्रदेश को लेकर भी पार्टी को काफी उम्मीद है। ऐसे में पायलट के साथ मिलकर पार्टी रणनीति बनाने में लगी है। चूंकि पायलट कई बार कह चुके हैं कि पार्टी उन्हें जहां जिम्मेदारी देगी, वहां काम करने को तैयार हूं। ऐसे में यह खबर भी सामने आ रही है कि पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में पायलट की परफॉर्मेंस देखने के बाद उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा पद और जिम्मेदारी दे सकती है।
गहलोत- पायलट के बीच तकरार को लेकर बढ़ी सियासी हलचल
राजनीति के जानकारों का यह भी कहना है कि भले ही राजस्थान में कांग्रेस सब ठीक होने का दावा करे, लेकिन यहां पार्टी खींचतान और खेमेबंदी अब भी जारी है। सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच समय समय पर खींचतान सामने आती रहती है। अब ताजा मुलाकात के बाद एक बार फिर सियासी हलकों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। राहुल- प्रियंका गांधी से पायलट की मुलाकात को इस पहलू से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
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