नई दिल्ली: राजस्थान के सियासी घटनाक्रम के बाद आलाकमान के नोटिस पर 29 सितंबर को सोनिया गांधी के सामने पेश होने दिल्ली पहुंचे अशोक गहलोत के हाथ में एक पेपर था, जिस पर हाथ से लिखा गया था, ‘सचिन पायलट कांग्रेस छोड़ देंगे. वह एक राज्य के पहले पार्टी अध्यक्ष हैं, जिन्होंने अपनी ही सरकार को गिराने की कोशिश की. पायलट के पास सिर्फ 18 विधायकों का समर्थन है.’ राजस्थान के मुख्यमंत्री ने यह हस्तलिखित नोट सोनिया गांधी को दिया था. इसमें लिखा था कि पार्टी के लिए अच्छा होता अगर राजस्थान भेजे गए केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया होता.
जब गहलोत 10 जनपथ में प्रवेश कर रहे थे, तब मलयाला मनोरमा के एक फोटोग्राफर ने नोट को अपने कैमरे में कैद कर लिया था, जिसमें उन्होंने सचिन पायलट को ‘SP’ कहकर संबोधित किया था. इसमें ‘मानेसर’ का भी संदर्भ था, जहां 2020 में पार्टी के अंदर विद्रोह के बाद गहलोत सरकार के लिए खतरा पैदा करते हुए, सचिन पायलट खेमे के 18 विधायक कैम्प करने चले गए थे. नोट में युवा नेता के समर्थकों के लिए “गुंडा-गर्दी, प्रतिशोधी और घमंडी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था. पायलट पर गहलोत का यह कड़ा हमला तब हुआ, जब कांग्रेस ने कहा कि वह एक दो दिनों में राजस्थान के सीएम मुद्दे पर फैसला कर लेगी.
अशोक गहलोत ने बाद में मीडिया से कहा कि उन्होंने एक हफ्ते पहले जयपुर में हुए घटनाक्रमों के लिए सोनिया गांधी से माफी मांग ली है, जब कांग्रेस के 80 से अधिक विधायकों ने सचिन पायलट को अगले मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने के किसी भी संभावित फैसले के खिलाफ बगावत कर दी थी. गहलोत के नोट की पहली पंक्ति में लिखा था, ‘जो कुछ भी हुआ वह बहुत दुखद था और मैं उससे आहत हूं.’ उन्होंने आगे लिखा कि ‘राजनीति में हवा बदल जाए तो लोग पाला बदल लेते हैं, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं हुआ.’ गहलोत ने अपने पक्ष में मजबूत समर्थन का हवाला देते हुए नोट में ‘102 MLAs’ और ‘RG 1 Hour’ (हाल ही में राहुल गांधी के साथ हुई गहलोत की लंबी बैठक का संकेत) का भी उल्लेख किया था.
उन्होंने अपने पहले के आरोप के अनुसार नोट में ’10 करोड़ रुपये’ और ‘भाजपा कार्यालय’ का भी हवाला दिया था. गहलोत खेमे के आरोपों के मुताबिक यह वह राशि थी, जो बीजेपी ने कथित तौर पर प्रत्येक कांग्रेस विधायक को पार्टी छोड़ने के बदले देने की पेशकश की थी. अशोक गहलोत के नोट में ‘Pushkar’ का भी उल्लेख था, जहां हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले मंत्रियों अशोक चंदना और शकुंतला रावत पर पायलट समर्थकों ने जूते फेंके थे और हूटिंग की थी. यह स्पष्ट नहीं है कि सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत की शिकायतों की सूची पढ़ी या नहीं, लेकिन इस मुलाकात के बाद गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ से बाहर हो गए.
एक तथ्य यह भी है कि अगर सचिन पायलट को सीएम बनाने की कोशिश होती है, तो राजस्थान में कांग्रेस सरकार के अस्थिर होने की संभावना बहुत ज्यादा है, क्योंकि अशोक गहलोत को विधायकों के एक बड़े वर्ग का समर्थन प्राप्त है.
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