जयपुर: राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होना है. इससे पहले सत्ताधारी कांग्रेस में एक बार फिर रार देखने को मिलने लगी है. पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने एक बार फिर बगावती तेवर दिखाए हैं. पायलट ने अपनी ही सरकार और सुबे के मुखिया अशोक गहलोत को भ्रष्टाचार के मुद्दों पर घेरा है. इन सबके बीच पायलट गहलोत खेमे के नेताओं के निशाने पर आ गए हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस मामले में सीएम अशोक गहलोत का समर्थन करते हुए उनकी योजनाओं और पहल को कारगार और सही बताया. पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा लाई गई योजनाओं ने प्रदेश की बड़ी आबादी को प्रभावित किया है. पायलट को कांग्रेस हाईकमान का साथ अभी तक नहीं मिला है.
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि साल 2013 में कांग्रेस की सरकार थी. जिसके बाद हम चुनाव हारे और फिर मुझे पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. उस समय हमने विपक्ष में रहते हुए वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर किया और जनता के सामने लेकर आए. हमने जनता से वादा किया कि राजे कार्यकाल की भ्रष्टाचार की जांच करवाएंगे. पायलट ने आगे बताया कि उन्होंने एक साल पहले सीएम गहलोत को चिट्ठी लिखी कि हमने जो आरोप लगाए हैं, उनकी जांच कराई जाए और इन घोटालों को जनता के सामने लाया जाए.
पायलट ने कहा कि उन्होंने 2 नवंबर 2022 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखी, लेकिन उसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई. राजस्थान सरकार घोटालों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रही है. हमारे विरोधी आरोप लगाते हैं कि कही यह ऊपरी मिलीभगत तो नहीं है. इस भ्रम और धारणा को तोड़ना जरूरी है.
सचिन पायलट ने सीएम अशोक गहलोत के वसुंधरा सरकार में बजरी घोटाले और खनन घोटाले के टेप भी चलाए, जिसमें सीएम ने कार्रवाई की बात कही थी. इसके अलावा वसुंधरा सरकार में हुए घोटाले की जांच नहीं कराने पर मिलीभगत का भी सवाल पायलट ने उठाया. सीएम गहलोत ने वसुंधरा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वसुंधरा राजे ने धौलपुर में गौचर भूमि दबा ली. वहीं, भामाशाह योजना को लेकर कहा था कि प्रदेश में इसे नहीं लाना चाहिए था. हमने आंध्र प्रदेश में अध्ययन कराया था, जिससे यह पता चला कि इससे भ्रष्टाचार काफी बढ़ा है.
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