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    रूस की पनडुब्बी सीक्रेट मिशन पर रवाना, इसमें लगे पोसीडॉन टारपीडो में विस्फोट से समुद्र में उठती हैं 300 फीट ऊंची लहरें

  • June 28, 2021

    वाशिंगटन । अमेरिका और ब्रिटेन से तनाव के बीच रूस ने दुनिया की सबसे बड़ी पनडुब्बी बेलगोरोड को पहले सीक्रेट मिशन पर रवाना कर दिया है। सन 2019 में लॉन्चिंग  (launching) के बाद यह बेलगोरोड पनडुब्बी का पहला समुद्री मिशन है। रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस पनडुब्बी के सभी समुद्री ट्रायल पूरे हो चुके हैं। 604 फीट लंबी बेलगोरोड पिछले 30 साल में बनने वाली दुनिया की सबसे बड़ी पनडुब्बी है। इसमें तैनात 79 फीट लंबे पोसीडॉन टॉरपीडो पानी के भीतर विस्फोट कर समुद्र में रेडियोएक्टिव सुनामी पैदा कर सकते हैं।


    इससे समुद्र के किनारे बसने वाले शहरों को 300 फीट ऊंची समुद्री लहरों का सामना करना पड़ सकता है। इस आपदा से किसी के बचने की संभावना नहीं है। अगर, लोग सुनामी की मार से बच भी गए तो उन्हें कई साल तक रेडियोएक्टिव विकिरण (radioactive radiation) का सामना करना पड़ेगा। दरअसल, बेलगोरोड पनडुब्बी रूसी नौसेना का आधिकारिक रूप से हिस्सा नहीं है। जिसका अर्थ है कि इसकी गुप्त और आक्रामक कार्रवाई प्रभावी रूप से अस्वीकार्य होगी। इसके द्वारा किए गए किसी भी हमले को रूस आधिकारिक रूप से स्वीकार करने से इनकार कर सकता है।

    इस पोत के संचालन की कमान रूस की खुफिया सेवा मेन डायरेक्टरेट ऑफ अंडरसी रिसर्च (Main Directorate of Undersea Research) के हाथों में रहेगी। यह संस्थान रूस के दुश्मनों की खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इसमें लगे छह टॉरपीडो में से हर एक दो मेगाटन तक के परमाणु धमाका करने में सक्षम है। यह ताकत हिरोशिमा पर गिराए गए अमेरिकी परमाणु बम से 130 गुना ज्यादा है।

    स्पेशल मिशन को अंजाम देने में माहिर इस पनडुब्बी में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात हैं, जो पलक झपकते वॉशिंगटन डीसी और न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहरों पर निशाना लगा सकती हैं। बेलगोरोड पनडुब्बी में छह पोसिडन लॉन्ग रेंज स्ट्रैटजिक न्यूक्लियर टॉरपीडो तैनात होते हैं। इस टॉरपीडो (torpedo) के जरिए रूसी नौसेना परमाणु हमला कर सकती है।

    यह एक अनमैंड अंडरवॉटर व्हीकल (unmanned underwater vehicle) की तरह काम कर सकता है, जो दुश्मन के इलाके में घुसकर खुफिया जानकारी इकट्ठा करती है। पोसिडन को स्टेटस-6 ओशेनिक मल्टीपरपज सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है। यह अंडरवॉटर ड्रोन दुश्मनों के ठिकानों पर परंपरागत और परमाणु मिसाइलों के साथ हमला करने में भी सक्षम है। ऐसी स्थिति में रूस की बेलगोरोड पनडुब्बी दुश्मन के जद से काफी दूर रहते हुए उनके ठिकानों की न केवल रेकी कर सकती है, बल्कि जरूरत पड़ने पर बर्बाद भी कर सकती है। पोसिडन अंडरवॉटर ड्रोन को 2018 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दुनिया के सामने पेश किया था। बेलगोरोड पनडुब्बी समुद्र में 1700 फीट की गहराई तक गोता लगा सकती है। इतनी गहराई पर केवल कुछ ही देशों की पनडुब्बियां जा सकती हैं।

    1700 फीट की गहराई तक गोता लगाने के कारण दुश्मन देशों के रडार और सोनार इसका पता बहुत मुश्किल से लगा पाएंगे। ऐसे में अगर यह पनडुब्बी अमेरिका के नजदीक पहुंच जाती है तो यूएस नेवी के लिए इसे डिटेक्ट करना आसान काम नहीं होगा। इस पनडुब्बी को आधिकारिक तौर पर प्रोजेक्ट-09852 के तहत बनाया गया था। इसे मूल रूप से ऑस्कर-2 क्लास की क्रूज मिसाइल पनडुब्बी से विकसित कर स्पेशल मिशन पनडुब्बी के रूप में विकसित किया गया है। इस पनडुब्बी के पानी के विस्थापन अमेरिका की ओहियो क्लास की पनडुब्बियों से 50 फीसदी अधिक है।

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