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    पुतिन कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझ रहे, यूक्रेन में किस हद तक जाएंगे?

  • March 15, 2022

    नई दिल्ली। क्या रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) मानसिक असंतुलन की वजह से किसी भी हद तक जा सकते हैं? शायद व्लादिमिर पुतिन कैंसर(cancer) जैसी किसी घातक बीमारी का शिकार हैं, जिसके लिए वो लंबे समय से स्टेरॉयड ट्रिटमेंट ले रहे हैं… और ये स्टेरॉयड ट्रिटमेंट (steroid treatment) यानी इस इलाज का ही असर है, जिसने उनका दिमागी संतुलन बिगाड़ दिया है… पुतिन (Putin) को लेकर दुनिया की पांच देशों की खुफिया एजेंसियों यानी फाइव आइज ने जो नया खुलासा किया है, वो कुछ ऐसा ही है… कभी पुतिन के साथ जासूसी की ट्रेनिंग ले चुकी एक लेडी सीक्रेट एजेंट(secret agent) यानी पूर्व महिला जासूस ने भी उन्हें लेकर जो बात कही है, वो फाइव आइज के इन तथ्यों की पुष्टि करती है… इन दिनों अमेरिका में रह रही इस पूर्व महिला जासूस ने कहा है कि पुतिन वाकई में यूक्रेन पर कब्जा करने और उसे सबक सिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.



    फाइव आइतज की रिपोर्ट पर यकीन करें तो खुद पुतिन की जिंदगी खतरे में है… और तजुर्बा बताता है जिसे अपनी ज़िंदगी पर मंडरा रहे खतरे का अहसास हो, कई बार ऐसे लोग बड़े ही खौफनाक और विनाशकारी फैसले लेने से भी बाज नहीं आते हैं. फाइव आइज के एक सीनियर खुफिया अधिकारी ने क्रेमलिन के सूत्रों का हवाला देते हुए रिपोर्ट पर मुहर लगाई है. उन्होंने कहा है कि ये पुतिन की बीमारी और उससे पैदा हुई उनके फिजिकल और मेंटल कॉम्पलिकेशन यानी जटिलताओं का ही असर है कि पुतिन ने यूक्रेन पर हमला करने जैसा घातक फैसला कर लिया. ये अकेला मामला नहीं है, हाल के कुछ सालों में पुतिन के ओवरऑल बिहेवियर और उनकी बॉडी लैंग्वेज पर पैनी निगाह रखनेवाले जासूसों ने खुलासा किया है कि 69 साल के रूसी राष्ट्रपति पुतिन का व्यवहार तेजी से अजीबोगरीब और अप्रत्याशित होता जा रहा है. वो कभी भी कुछ भी कर सकते हैं. और उनकी बीमारी के ये साइड एफेक्ट सिर्फ उनके फैसलों पर ही नहीं दिख रहा, बल्कि उनके चेहरे और जिस्म के दूसरे हिस्सों पर भी नजर आ रहा है. हाल के कुछ दिनों में पुतिन ने लोगों से मिलने-जुलने से भी दूरी बना ली है.
    इंग्लैंड के एक न्यूज पेपर ‘डेली मेल’ ने भी पुतिन की सेहत को लेकर फाइव आइज के इस रिसर्च पर एक रिपोर्ट छापी है, जिसमें बताया गया है कि पुतिन को लेकर इन पांच देशों की खुफिया एजेंसियों ने ह्यमून इंटेलिजेंस के जरिए ये चौंकानेवाली जानकारियां इकट्ठा की हैं, जिसमें पिछले पांच सालों में पुतिन के व्यवहार और उन फैसलों का ब्यौरा शामिल है, जिसमें उनके बदले हुए रवैये की झलक मिलती है. पुतिन का अपना व्यवहार तो खैर बदला ही है, उनके इर्द-गिर्द रहनेवाले लोग भी उन्हें उनके फैसलों के सही-सही अंजाम को लेकर उन्हें समझाने में नाकाम रहे हैं और यूक्रेन पर हमला करने का उनका फैसला इस बात का सबूत है.

    रूसी खुफिया एजेंसी के चीफ को नजरबंद किया
    सूत्रों का दावा है कि पुतिन का चेहरा और उनकी गर्दन पिछले कुछ महीनों से सूजन दिख रही है. इसके अलावा उनका रंग भी जर्द पड़ गया है. और किसी के जिस्म पर ऐसी तब्दीलियां आम तौर पर स्टेरॉयड के लंबे डोज का साइड एफेक्ट माना जाता है. पुतिन को लेकर सामने आ रही ख़बरों के मुताबिक उन्होंने अपने देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी फेडरल सीक्रेट ब्यूरो के फॉरेन सर्विस के चीफ सर्गेई बेसेदा और उनके डिप्टी चीफ अनातोली बॉलीयूख को ना सिर्फ उनके पदों से हटा दिया है, बल्कि उन्हें अगले आदेश तक के लिए हाउस अरेस्ट यानी नजरबंद भी कर दिया है. क्योंकि पुतिन का मानना है कि उनके ये दोनों अधिकारी यूक्रेन से जुड़ी सटीक खुफिया जानकारियां इकट्ठा करने के नाकाम रहे हैं और यूक्रेन में रुसी फौज को कदम-कदम पर मिल रही शिकस्त भी इसी नाकामी का नतीजा है. जासूसों का कहना है कि पुतिन का ऐसा करना भी इस बात की निशानी है कि उन्हें पार्किंसंस या डिमेनशिया जैसी कोई बीमारी है, जिसका असर उनके दिमाग पर पड़ा है.

    वर्ल्ड लीडर्स से मिलने में भी पुतिन को परहेज
    ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी का कहना है कि पुतिन दरअसल रोइड रेज नाम के एक साइड एफेक्ट का शिकार हैं, जो स्टेरॉयड के लंबे इस्तेमाल की वजह से होता है. सूत्र बताते हैं कि पुतिन ने जिस तरह से खुद को दूसरों से अलग कर लिया है और जिस तरह से वो लोगों से मिलने-जुलने से परहेज कर रहे हैं, वो उनके दिमाग में पल रहे मौत के डर की निशानी है. और ऐसा अक्सर दवाओं की वजह से होता है, जिसका असर इंसान के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी पड़ता है. इम्यून सिस्टम के कमजोर होते ही इंसान कई तरह के संक्रमण के खतरे में भी आ जाता है. गौर करनेवाली बात ये है कि पिछले महीने भी जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों रूसी राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे थे, तब पुतिन ने उन्हें खुद से कम से कम 13 फीट की दूरी पर यानी एक टेबल के बिल्कुल दूसरे छोर पर बिठाया था, जिसमें वो बैठे हुए थे. इसी के साथ इस मीटिंग से किसी भी रूप से जुड़े रहनेवाले लोगों को पुतिन ने पहले ही कम से कम दो हफ्तों के लिए क्वारंटाइन रहने का हुक्म दिया था.

    ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी ने भी किया यही दावा
    मैक्रों और पुतिन की इस मुलाकात के बाद कुछ फ्रेंज अफसरों ने भी ये कहा कि ये वो पुतिन नहीं हैं, जिनसे मैक्रों की दो साल पहले मुलाकात हुई थी. कहने का मतलब ये कि नए पुतिन उन्हें काफी बदले-बदले से नजर आए और कुछ मामलों में उनका रवैया पहले की तुलना में खराब हो चुका था. फाइव आइज की तरह ब्रिटेन के भी एक खुफ़िया सूत्र ने ये दावा है कि पुतिन को लेकर उनका रिसर्च बेहद पुख़्ता और भरोसेमंद है. इस सूत्र का यहां तक कहना था कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को वो जितनी नजदीकी से मॉनिटर करते हैं, उसके मुकाबले वो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को और बारीकी से फॉलो करते हैं.

    रूस को इंटरपोल से बाहर निकालने की मांग
    वैसे सिर्फ अमेरिकी और यूरोपीय देशों की खुफिया एजेंसियां ही पुतिन को ट्रैक नहीं कर रही, बल्कि इन देशों के दिमाग में क्या चल रहा है, रूस के जासूस भी उसका पता लगाने में जुटे हैं. खुफिया एजेंसियों के बीच जारी ये रस्साकशी कितनी ज्यादा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंटरपोल के कुछ सदस्य देशों ने इस अंतर्राष्ट्रीय पुलिस संस्था से फिलहाल रूस को निकाल बाहर करने की मांग की है, ताकि रूस को बाकी दुनिया की जानकारी जुटाने से रोका जा सके. हालांकि इंटरपोल के प्रेसिडेंट मेजर जनरल अहमद नासिर अल रईसी पर ब्रिटेन ने फिलहाल रूस को निकाल बाहर करने के फैसले पर ब्रेक लगाने का इल्जाम लगाया है.

    क्या है फाइव आइज ग्रुप, कैसे काम करता है?
    फाइव आइज यानी अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की टॉप ख़ुफ़िया एजेंसियों का वो संगठन, जो ज़रूरत के मुताबिक एक दूसरे के साथ अपनी ख़ुफ़िया जानकारी शेयर करते हैं. और इत्तेफ़ाक से इनमें से कुछ देश नाटो के मेंबर हैं, जिनके साथ इन दिनों यूक्रेन को लेकर रूस की ठनी हुई है.

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