मॉस्को (Moscow)। रूस (Russia) के विदेश मंत्रालय (Foreign Ministry) ने बताया कि भारत (India) में रूसी तेल की डिलीवरी (Russian oil delivery) लगातार बढ़ रही है। अब तक भुगतान संबंधी कोई समस्या नहीं (No payment related problems) आई है। रूसी विदेश मंत्रालय की आधिकारिक प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने बुधवार को एक मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को रूसी तेल की आपूर्ति लगातार उच्च स्तर पर बनी हुई है। रूस द्वारा निर्यात किए जाने वाले तेल के लिए भुगतान के साधन निर्धारित करने में कोई समस्या नहीं आती है। भुगतान (payment) में प्राथमिकता राष्ट्रीय मुद्राओं (Priority National currencies) को दी गई है।
फरवरी में म्यूनिख शिखर सम्मेलन में जयशंकर ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने मॉस्को से तेल खरीदना जारी रखा, जिसके कारण उसे कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि कई विकल्प रखने के लिए भारत की आलोचना नहीं की जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने रूसी तेल खरीदने के अपने रुख और प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की।
क्या यह समस्या है
सम्मेलन में भारत की विदेश नीति प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर एस जयशंकर ने कहा था कि क्या यह समस्या है, यह समस्या क्यों होनी चाहिए? अगर मैं इतना स्मार्ट हूं कि कई विकल्पों को रख सकता हूं, तो आपको मेरी प्रशंसा करनी चाहिए। क्या यह दूसरों के लिए एक समस्या है? मुझे ऐसा नहीं लगता है। हम यह समझाने की कोशिश करते हैं कि देशों के बीच क्या-क्या अलग-अलग खींचतान और दबाव हैं। एकतरफा संबंध रखना बहुत मुश्किल है।
रूस से कच्चा तेल खरीदकर भारत ने वैश्विक दाम वृद्धि पर लगाई लगाम
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदकर कीमतों पर लगाम लगाई है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार, अगर भारत बड़े पैमाने पर रूस से कच्चे तेल की खरीद नहीं करता तो वैश्विक स्तर पर इसकी कीमतें 30 से 40 डॉलर तक बढ़ सकतीं थीं। साथ ही क्रूड बाजार में अराजकता भी फैल सकती थी। एसएंडपी ग्लोबल के अनुसार, भारत ने रूस और यूक्रेन संघर्ष के दौरान पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर लगाए गए प्रतिबंध के दौरान बड़े पैमाने पर कच्चा तेल खरीदा था। रिपोर्ट में अनुमानित करीब 20 लाख बैरल प्रति दिन की खरीदी के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार, फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद भारत के रूसी तेल के आयात में भारी बढ़त ने वैश्विक तेल बाजार में तबाही को रोक दिया।
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