लॉस एंजेल्स। एक अग्रणी टेक कंपनी ‘माइक्रोसाफ्ट’ ने गुरुवार को कहा कि उसने पिछले दिनों में “राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और पूर्व उपराष्ट्रपति जोई बाइडन के चुनाव अभियान से जुड़े लोगों पर” असफल साइबर हमलों का पता लगाया है। इन साइबर हमलों में रूस, चीन और तेहरान के हैकर्स आगामी नवंबर के महीने में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जुटे लोगों और संगठनों को निशाना बनाने में लगे थे। माइक्रोसाफ्ट ने कहा है कि इन हैकर्स में 2016 में हुए साइबर हमलों के पीछे रूसी हैकर्स भी शामिल हैं।
माइक्रोसॉफ्ट ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा है कि सन् 2016 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान रूसी हैकर्स ने राजनीतिक अभियान और दोनों ही बड़ी पार्टियों सहित 200 से अधिक संगठनों पर साइबर हमले किए थे। ये लोग तब से अपनी रणनीति में लगे हुए हैं। माइक्रोसाफ्ट ने यह भी कहा कि इस बार चीनी हैकर्स ने “चुनाव से जुड़े उच्च-प्रोफ़ाइल व्यक्तियों” पर साइबर हमला किया है। इनमें बाइडन के अभियान से जुड़े लोग और पूर्व में ट्रम्प प्रशासन से जुड़े कम से कम एक व्यक्ति और ईरानी हैकर्स ने ट्रम्प के अभियान से जुड़े लोगों के व्यक्तिगत खातों पर साइबर हमला किया है। कंपनी ने दावा किया है उसने अधिकांश हमलों का “पता लगाया और उन्हें रोका गया है”।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार रिपब्लिकन नेशनल कमेटी को “असफल” रूप से लक्षित किया गया था। लेकिन यह “किस देश द्वारा किया गया, स्पष्ट नहीं किया जा सका है।” रिपोर्ट में रूसी सैन्य खुफिया एजेंसी को चुनावों के लिए सबसे बड़ा विदेशी खतरा बताया जा रहा है। माइक्रोसाफ्ट का कहना है कि ये गतिविधियां स्पष्ट रूप से इशारा करती है कि ये विदेशी ख़ुफ़िया एजेंसियां अथवा समूह 2020 के चुनाव को लक्ष्य मान कर अपने अपने उद्देशों की पूर्ति में जुटी हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved