नई दिल्ली: यूक्रेन के खिलाफ जंग (Russia-Ukraine war) छेड़ने वाले देश रूस ने भारत के सामने एक बड़ा प्रस्ताव रखा है. रूस ने कहा है कि वह तेल और अन्य सामान डिस्काउंट रेट पर भारत को मुहैया कराने के लिए तैयार है. रूस के इस प्रस्ताव पर भारत विचार करने को तैयार हो गया है. भारत के लिए यह प्रस्ताव ऐसे समय में सामने आया है जब रूस दुनिया का सबसे अधिक प्रतिबंध (Ban against Russia) झेलने वाला देश बन गया है. यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ने के बाद दुनिया के अधिकांश देश रूस के खिलाफ उतरे हैं.
हालांकि भारत ने बीच का रास्ता अपनाया है और दोनों देशों के बीच शांति वार्ता बहाल करने की अपील की है. रूस पर तेल (Oil Import) और गैस सप्लाई का भी प्रतिबंध लगा है. इसे देखते हुए रूस ने भारत के सामने तेल सहित अन्य सामान का निर्यात डिस्काउंट रेट पर करने का प्रस्ताव दिया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने रूस के इस कदम की रिपोर्ट दी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है और रूस से रुपया-रूबल ट्रांजैक्शन में यह बिजनेस होगा. युद्ध छिड़ने के बाद रूबल वैश्विक मार्केट में तेजी से गिरा है और उसका रेट बेहद निचले स्तर पर चला गया है.
भारत अपनी जरूरत का 80 परसेंट कच्चा तेल विदेशी बाजारों से खरीदता है. इसमें 2-3 परसेंट ही रूस से मंगाया जाता है. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद दुनिया के बाजारों में तेल के दाम 40 परसेंट तक बढ़ गए हैं. इस स्थिति में भारत अगर रूस से सस्ते में तेल खरीदता है तो उसका खर्च कुछ कम होगा. रूबल भी अभी निचले स्तर पर चल रहा है, इसलिए भारत को इससे फायदा होगा.
पूरी खबर क्या है
भारत सरकार के एक सूत्र ने रॉयटर्स से कहा कि रूस ने तेल और कुछ और सामान सस्ते रेट पर बेचने का प्रस्ताव दिया है. हमें इसे खरीदने में खुशी होगी. हालांकि अभी टैंकर, इंश्योरेंस कवर और ऑयल ब्लेंड को लेकर कुछ समस्याएं हैं जिन्हें पहले निपटाया जाएगा. एक बार ये समस्याएं सुलझ जाएं तो सस्ते रेट पर तेल और सामान लिए जाएंगे. यह बात ध्यान रखना होगा कि दुनिया के कुछ देशों ने यूक्रेन के समर्थन में रूसी तेल और गैस खरीदने से मना कर दिया है. इसमें अमेरिका और कई पश्चिमी देश शामिल हैं.
दुनिया के कई देशों ने रूस के खिलाफ आयात-निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन भारत का कहना है कि उन प्रतिबंधों से उसे कोई घाटा नहीं होगा. या इन प्रतिबंधों के चलते रूस से तेल मंगाने में अड़चन नहीं आएगी. सरकार की तरफ से रुपया-रूबल ट्रांजैक्शन का मेकेनिज्म बनाया जा रहा है क्योंकि रूस से मंगाए जाने वाले सामान का पेमेंट रुपया-रूबल विनियम के हिसाब से ही होगा. हालांकि अभी यह पता नहीं चल पाया है कि कितना तेल आएगा और उसका क्या रेट तय हुआ है.
रूस का प्रस्ताव
रूस ने अपने मित्र देशों से कहा है कि उनके साथ कारोबार और निवेश का काम जारी रहेगा. रूस के साथ कई दशकों से भारत का रक्षा संबंध है और अभी हाल में यूएन में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव में भारत ने ‘अब्सटेन’ (वीटो की वोटिंग में शामिल नहीं होना) किया था. अब्सटेन एक तरह से रूस का समर्थन हुआ क्योंकि भारत के हटने से एक वोट कम हो गया जिसकी गिनती नहीं की जाती.
अगले वित्तीय वर्ष में भारत का आयात का खर्च 50 अरब डॉलर से अधिक होने की संभावना है जिसमें अधिकांश हिस्सा तेल और फर्टिलाइजर का होगा. इस बोझ को कम करने के लिए भारत तेल की सप्लाई के लिए रूस और फर्टिलाइजर के लिए बेलारूस से बात कर सकता है. सरकार को लगता है कि अगले वित्तीय वर्ष में फर्टिलाइजर सब्सिडी कम से कम 200 अरब रुपये से 300 अरब रुपये तक हो सकती है. अभी इसका अनुमान 1.05 खरब रुपये का है. सूत्र ने कहा कि रूस अगर सस्ते में फर्टिलाइजर देता है, तो जरूर खरीद की जाएगी.
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