मास्को। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। एक तरफ वे देश हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन के साथ हैं तो दूसरी तरफ रूस और उसके कुछ सहयोगी देश। इन बदलते समीकरणों के बीच रूस ने जर्मनी की सैटेलाइट को हाईजैक करने की कोशिश की है। मामला सामने आने के बाद जर्मनी की अंतरिक्ष एजेंसी पहले से ज्यादा सतर्क हो गई हैं।
दरअसल, यूक्रेन पर हमले के बाद रूस के कई देशों से संबंध बिगड़ गए हैं। कई पश्चिमी देशों ने रूस से पूरी तरह से अपने संबंध तोड़कर यूक्रेन को मदद भेजी। इसमें जर्मनी भी शामिल है। जर्मनी ने रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के साथ अपने सहयोग को समाप्त कर लिया है। कहा जा रहा है कि जर्मनी के इस कदम ने रूसी अधिकारियों को नाराज कर दिया है।
दरअसल, कुछ साल पहले रूस और जर्मनी ने एक साझा अभियान के तहत अंतरिक्ष में सैटेलाइट को भेजा था। अभी तक ये दोनों देश इस मिशन पर मिलकर काम कर रहे थे। हालांकि, जर्मनी के पीछे हटने के बाद रूसी अधिकारी इसे हैक करने की कोशिश की।
जर्मनी के पीछे हटने के बाद इरोसिटा (eROSITA) सैटेलाइट का काम पूरी तरह से ठप पड़ा है। उधर, जर्मनी के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि जर्मनी की भागेदारी के बिना इरोसिटा को शुरू में रूसी अंतरिक्षण एजेंसी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए थे। इसके बाद रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने अंतरराष्ट्री स्पेस एजेंसी को लेकर बड़ा बयान जारी किया था। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस के प्रमुख दमित्री रोगोजिन ने कहा था, हमारे पास इस 500 टन के ढांचे को भारत और चीन में गिराने का भी विकल्प खुला हुआ है। क्या आप उन्हें ऐसी संभावना से धमकाना चाहते हैं? आईएसएस रूस के ऊपर से नहीं उड़ता है। ऐसे में प्रतिबंध लगाने से पहले आप जान लें कि आपको क्या करना है? रूस ने कहा था, रूस ने कहा है कि, अगर वह इस तरह से प्रतिबंध जारी रखेगा तो, वह अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन को दुर्घटनाग्रस्त कर सकता है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved