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रूस-यूक्रेन की लड़ाई अब विश्‍व युद्ध की ओर बढ़ रही, समझें यूक्रेनी राष्‍ट्रपति के इस बयान के मायने ?

March 21, 2022

कीव/मॉस्को। रूसी सेना (Russian army) के यूक्रेन-नाटो देश की सीमा (Ukraine-NATO country border)के पास तक पहुंच जाने से रूस और नाटो सेना (nato army) के बीच प्रत्यक्ष टकराव की आशंका बढ़ गई है। गत 13 मार्च को रूसी विमान ने कथित रूप से यावोरीव अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा केंद्र पर रॉकेट दागे (Rockets fired at Yavoryev International Peace and Security Center) थे। यह केंद्र यूक्रेन और नाटो देश पोलैंड की सीमा से महज 20 किलोमीटर दूर है। सभी सैन्य संगठनों में गलतियां होती हैं, हाल के दिनों में यह और स्पष्ट हो गया, जब भारत की एक मिसाइल दुर्घटनावश प्रक्षेपित होने के बाद पाकिस्तान में गिरी। परमाणु हथियार संपन्न भारत-पाकिस्तान के बीच अभी उच्च तनाव की स्थिति है।
पाकिस्तान(Pak) द्वारा बदला लेने के काफी आसार थे, लेकिन यूक्रेन के विपरीत यहां दोनों देशों के बीच खुली जंग नहीं थी। यदि यही घटना यूक्रेन में पोलैंड और रूसी सेनाओं के बीच घटती, तो इसकी संभावना नहीं है कि पोलिश सरकार यकीन कर लेती कि मिसाइल प्रक्षेपण एक गलती थी। रूस के इरादों के बारे में चिंता पश्चिमी देशों की तुलना में नाटो के पूर्वी देशों में उच्च स्तर पर है।



सिर्फ एक गोली चलने से छिड़ सकता है युद्ध
15 मार्च को पोलैंड, स्लोवेनिया और चेक गणराज्य के प्रधानमंत्रियों ने कीव में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मिलने के लिए यूक्रेन में ट्रेन की सवारी का जोखिम उठाया। टकराव की आशंका तब बढ़ जाती है जब जमीनी स्तर पर एक-दूसरे के सैनिकों का आकलन करते हैं। शांत और तनावपूर्ण सीमा पर केवल एक गोली चलने या किसी जूनियर गैर-कमीशन अधिकारी के किसी विशेष स्थिति को गलत समझकर आक्रामक कार्रवाई करने से भीषण युद्ध छिड़ सकता है। ऐसी लड़ाई स्थानीय कमांडरों के नियंत्रण से परे चली जाती है।

यूक्रेन को नाटो का विमान देना पड़ सकता है महंगा
जेलेंस्की ने नाटो से बार-बार यूक्रेन को ‘वर्जित उड्डयन क्षेत्र’ घोषित करने का आह्वान किया। लेकिन नाटो नेता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इससे रूस और नाटो बलों के बीच सीधे सैन्य टकराव का खतरा है। ऐसा जेलेंस्की के अन्य अनुरोधों पर भी लागू होता प्रतीत होता है जिसमें यूक्रेनी वायुसेना की मदद के लिए विमान की आपूर्ति करने की मांग शामिल है। लेकिन अगर नाटो यूक्रेन को सीधे विमान उपलब्ध कराता है, तो रूस विमानों की आपूर्ति को रोकने के लिए कार्रवाई कर सकता है।
इसमें उन हवाई अड्डों पर हमले हो सकते हैं जहां विमान रखे जाते हैं। उदाहरण के लिए यूक्रेन में विमान भेजने से पहले पोलैंड। जेलेंस्की ने अमेरिकी कांग्रेस में अपने भाषण में पर्ल हार्बर और 9/11 के हमलों की अमेरिका को याद दिलाई। उन्होंने नाटो की निरंतर निष्क्रियता के परिणामों के प्रति चेतावनी दी।

क्या होता है अनुच्छेद पांच?
नाटो सदस्यता एक सदस्य राष्ट्र को गठबंधन के अन्य सदस्यों से समर्थन मांगने के लिए उत्तरी अटलांटिक संधि के अनुच्छेद 5 को लागू करने की अनुमति देती है। 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क और वाशिंगटन डीसी पर हुए हमलों के बाद इस अनुच्छेद का उपयोग अमेरिका द्वारा नाटो के इतिहास में पहली और अंतिम बार किया गया। लेकिन अनुच्छेद पांच यह गारंटी नहीं देता कि अन्य सभी नाटो राज्य किसी हमले को रोकने के लिए सशस्त्र बल भेजेंगे, केवल सैन्य कार्रवाई एक विकल्प है जिसे गठबंधन के ‘सामूहिक रक्षा’ के सिद्धांत के हिस्से के रूप में शामिल किया जा सकता है।

हमले के बाद ब्रुसेल्स में हुई थी नाटो की मीटिंग
ब्रिटेन के स्वास्थ्य सचिव साजिद जाविद ने कुछ दिन पहले एलबीसी पर एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि, ‘अगर एक भी रूसी नाटो क्षेत्र में कदम रखता है तो नाटो के साथ युद्ध होगा।’ 25 फरवरी को रूसी सेना द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के एक दिन बाद नाटो सरकार के प्रमुख ब्रुसेल्स में मिले। उन्होंने यूक्रेन पर आक्रमण की निंदा करते हुए यूक्रेन की मदद करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई। इसके बाद नाटो ने अपने पूर्वी क्षेत्रों में भूमि और समुद्री संसाधनों, दोनों को तैनात कर दिया।

रूस के साथ उलझना नहीं चाहते कुछ नाटो देश
नाटो ने रक्षा योजनाओं को सक्रिय करके खुद को तैयार करना शुरू कर दिया ताकि किसी प्रकार की आकस्मिकता का जवाब देकर गठबंधन के क्षेत्र को सुरक्षित रखा जा सके। नाटो पर यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में स्ट्रेटजिक स्टडीज एंड इंटरनेशनल रिलेशन के लेक्चरर केंटोन व्हाइट के शोध में विभिन्न सदस्य देशों के कई अधिकारियों के साथ अनौपचारिक चर्चा शामिल है। इसके अनुसार कुछ नाटो देश अपने सैनिकों को भेजने के प्रति अनिच्छुक हो सकते हैं, भले ही अनुच्छेद पांच का इस्तेमाल किया गया हो।

परमाणु और रासायनिक हथियारों से नाटो का जवाब देगा रूस
सवाल यह है कि क्या नाटो देशों के नेता रूसी धरती पर हमले करने के इच्छुक होंगे, जो संघर्ष के लिहाज से अहम है। लेकिन यदि ऐसा हुआ तो अतिरिक्त जोखिम बढ़ेगा और रूस परमाणु या रासायनिक हथियारों को तैनात करके इसका जवाब दे सकता है। पारंपरिक या परमाणु प्रतिरोध- दोनों ही स्थिति में दोनों पक्षों द्वारा तर्कसंगत आकलन की जरूरत होती है। अभी तक नाटो पुतिन को रोकने में सफल नहीं हुआ है।
इसके उलट पुतिन ने गठबंधन को इतिहास में अब तक कभी नहीं देखे गए परिणाम से अवगत कराने की धमकी दी है। इस बीच शांति वार्ता में रूस को कोई छूट मिलती है तो उसकी ओर से अधिक मांग किए जाने की संभावना बढ़ जाती है। यह नाटो के पूर्वी यूरोपीय सदस्यों को चिंतित करता है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कि रूस से काफी दूर स्थित नाटो के सदस्य देश समान खतरा महसूस करते हैं या नहीं।

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