कीव । रूसी सेना के आक्रमण (Russian army invasion) से अपने देश यूक्रेन को बचाने के लिए पिछले 40 दिन से जूझ रहे राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने रूसी सेना के खिलाफ कार्रवाई करने और उसे न्याय के कटघरे में लाने की अपील की। जेलेंस्की ने यह भावुक अपील संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए रूस के निष्कासन की मांग की है। जेलेंस्की ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को तत्काल (immediately to the United Nations) कार्रवाई करने की आवश्यकता है और इसकी प्रणाली में तत्काल सुधार किया जाना चाहिए। सुरक्षा परिषद में सभी क्षेत्रों का उचित प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
जेलेंस्की ने रूसी सेना की यूक्रेन के बुचा बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की तुलना इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन द्वारा की गई हिंसा से की है। उन्होंने युद्ध के मद्देनजर रूसी अपराधों के लिए जवाबदेही की मांग की।
जेलेंस्की ने कहा कि अगर कोई विकल्प नहीं है तो अगला विकल्प खुद को पूरी तरह से भंग कर देगा। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, क्या आप संयुक्त राष्ट्र को बंद करने के लिए तैयार हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून निष्प्रभावी हो गया है। यदि आपका उत्तर नहीं है तो आपको तुरंत कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं का उनके बच्चों के सामने रेप किया गया और हत्या कर दी गई। उनकी जीभ खींच ली गई क्योंकि हमलावरों ने वह नहीं सुना, जो वे उनसे सुनना चाहते थे। इसलिए यह आइएस जैसे अन्य आतंकवादियों से अलग नहीं है, जिन्होंने कुछ क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और यहां यह सब कुछ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक सदस्य द्वारा किया जाता है।
जेलेंस्की ने मंगलवार को बूचा का दौरा किया। उन्होंने कहा कि बूचा में जो हुआ वह अक्षम्य है, लेकिन युद्ध खत्म करने के लिए यूक्रेन के पास रूस के साथ बातचीत करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। युद्ध अब छठे सप्ताह में प्रवेश कर चुका है।
भारत ने बुका शहर में हत्याओं पर जताई आपत्ति, स्वतंत्र जांच का समर्थन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि युद्ध की बिगड़ती स्थिति को लेकर भारत चिंतित है। उन्होंने एक बार फिर सैन्य कार्रवाई को तत्काल समाप्त करने के भारत के पक्ष को दोहराया है। यूक्रेन के बुका शहर में मारे गए आम लोगों की हत्याओं को भारत ने चिंता का विषय बताया है। साथ ही तिरुमूर्ति ने एक स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन भी किया है। उन्होंने कहा कि भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि वैश्विक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और क्षेत्रीय अखंडता और राज्यों की संप्रभुता के सम्मान पर टिकी हुई है। (हि. स.)
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