वाशिंगटन। रूस और यूक्रेन के बीच जंग (Russia Ukraine War) के खात्मे के लिए मध्यस्थता कराने से पीछे हटने की चेतावनी देने के बाद अब अमेरिका (America) का रूस (Russia) के प्रति नर्म रवैया सामने आया है। खबरों के मुताबिक हाल ही में अमेरिका (America) ने रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौते को अमल में लाने के लिए एक नया प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। इस प्रस्ताव के तहत अमेरिका ने स्थायी युद्धविराम (Permanent ceasefire) के बदले रूस पर लगे प्रतिबंधों को कम करने की बात कही है।
इस मामले से परिचित यूरोपीय अधिकारियों के मुताबिक गुरुवार को पेरिस में हुई बैठक के दौरान यह योजना सामने रखी गई। चर्चाएं हैं कि इस प्रस्ताव के तहत युद्ध प्रभावी रूप से रोक दिया जाएगा और रूस ने जिन यूक्रेनी क्षेत्रों पर कब्जा किया है, वे रूस के नियंत्रण में रहेंगे। वहीं प्रस्ताव के तहत यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा। इन शर्तों से जहां रूस की चांदी हो सकती है, वहीं यूक्रेन के क्षेत्रों पर रूस के कब्जे को मान्यता मिलना और अमेरिकी प्रतिबंधों का हटना यूक्रेन के कई सहयोगियों के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है।
फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन भी बैठक का हिस्सा
गौरतलब है कि पेरिस वार्ता में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन और अमेरिकी राजदूत स्टीव विटकॉफ के अलावा अमेरिका के विदेश सचिव रूबियो और फ्रांस, जर्मनी, यूके और यूक्रेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने हिस्सा लिया। इससे पहले कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि अमेरिकी अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि वे कुछ सप्ताह के अंदर ही पूर्ण युद्धविराम सुनिश्चित करना चाहते हैं। पेरिस वार्ता से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अधिकारी इस प्रस्ताव पर आगे की बातचीत के लिए अगले सप्ताह लंदन में फिर से एकजुट होंगे।
रुबियो ने क्या दिए थे संकेत?
इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शुक्रवार को यह कहा कि ट्रंप प्रशासन समझौते के लिए एक कदम आगे बढ़ने के लिए भी तैयार है। वहीं अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी शुक्रवार को रोम में कहा है कि वह इस जंग को खत्म करने की संभावनाओं के बारे में आशावादी हैं।
रुबियो ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी समझौते में मदद कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अपने मध्यस्थता के प्रयासों में अमेरिका का धैर्य कम होता जा रहा है। रुबियो ने कहा, “हम इस प्रयास कब तक करेंगे? हमें अब बहुत जल्दी यह निर्धारित करने की जरूरत है। हमें यह देखना है कि अगले कुछ हफ्तों में यह संभव है या नहीं। अगर यह संभव है, तो हम इसमें शामिल हैं। अगर ऐसा नहीं है, तो हमारे पास दूसरी प्राथमिकताएं भी हैं।”
विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने शुक्रवार को कहा कि अगर तत्काल युद्धविराम को लेकर कोई प्रगति नहीं होती है तो अमेरिका इससे दूरी बना लेगा। 2014 में क्रीमिया पर रूस ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद रूस ने यहां जनमत संग्रह भी करवाया था। हालांकि वैश्विक समुदाय ने इसे रूस का हिस्सा मानने से इनकार कर दिया था। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की बार-बार कह चुके हैं कि वह इसे रूस को सौंपने को तैयार नहीं है। हालांकि अगर अमेरिका पीस डील के बदले इस मामले में रूस का साथ देने को तैयार हो जाता है तो उसे बड़ा फायदा मिलने वाला है। इसी बहाने क्रीमिया को रूस का हिस्सा माना जा सकता है। फिलहाल पुतिन ने भी डोनाल्ड ट्रंप की पीस डील को मानने से इनकार किया है।
क्रीमिया को लेकर अमेरिका विदेश मंत्रालय ने कोई स्पष्ट बात नहीं कही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता अब ऐेसे स्तर पर पहुंच चुकी है, जिसमें कुछ निष्कर्ष निकलना चाहिए, लेकिन दोनों में से कोई भी देश उनके (ट्रंप) युद्ध समाप्त कराने के प्रयासों का समर्थन नहीं कर रहा है।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘अगर किसी कारण से दोनों में से कोई एक पक्ष इसे बहुत कठिन बना देता है तो हम कह देंगे कि आप मूर्ख हैं और फिर हम इसे छोड़ देंगे।’ यह पूछे जाने पर कि क्या रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वार्ता में देरी कर रहे हैं तो इसके जवाब में ट्रंप ने कहा, ‘मुझे लगता है कि ऐसा नहीं है।’
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