मॉस्को। रूस ने भारत और चीन को अपना दोस्त बताते हुए कहा है कि ये दोनों ही देश दुनिया में शक्ति के संप्रभु केंद्र हैं। दोनों देशों के साथ अपने संबंधों को व्यापक रूप से गहरा करने और उनके साथ समन्वय बढ़ाने को विशेष महत्व देने का भी संकल्प लिया है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ओर से शुक्रवार को अनुमोदित विदेश नीति के अपने नए सिद्धांत को पेश करते हुए रूस ने यह भी कहा कि अन्य देशों और बहुपक्षीय निकायों के प्रति उसका रवैया इसके संबंध में उनकी नीतियों के रचनात्मक, तटस्थ और अमैत्रीपूर्ण चरित्र पर निर्भर है।
नई विदेश नीति में कहा गया है कि रूस यूरेशिया में भारत के साथ विशेषाधिकार रणनीतिक साझेदारी और द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा बढ़ाने, निवेश और तकनीकी संबंधों को मजबूत करने पर जोर देगा। इसके अलावा अमित्र राज्यों और उनके गठबंधनों के विनाशकारी कार्यों के प्रतिरोध को सुनिश्चित करेगा।
भारत से सभी क्षेत्रों में संबंध होंगे और मजबूत
रूस ने भारत के साथ परस्पर लाभकारी आधार पर सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने और उसका विस्तार करने की भी बात कही है। इसमें यह भी कहा गया है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बावजूद भारत के साथ उसके संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ा है और वह मजबूत बना हुआ है। पश्चिमी देशों की नाराजगी के बावजूद पिछले कुछ महीनों के दौरान रूस से भारत के कच्चे तेल के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। रूस ने कहा है कि वह यूरेशिया को शांति, स्थिरता, विश्वास, विकास और समृद्धि के एक महाद्वीपीय साझा स्थान में बदलना चाहता है।
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