मॉस्को (Moscow)। रूसी शिपिंग कंपनी (Russian shipping company) सोवकॉम्फ्लोट (एससीएफ) (Sovcomflot (SCF) के जहाज (Ships) ने शुक्रवार को गुजरात की बंदरगाह (Port of Gujarat) पर तेल उतारा है। अमेरिकी प्रतिबंधों (US sanctions) के चलते कुछ समय की अड़चन के बाद मॉस्को ने तेल आपूर्ति के लिए एससीएफ जहाजों (scf ships) को फिर से शुरू कर दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के जामनगर में दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स के संचालक रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए 90,000 मीट्रिक टन ईंधन तेल एससीएफ बाल्टिका ने शुक्रवार बंदरगाह पर उतारा है। भारत रूस से तेल लेने के बाद कई दूसरे देशों को भी भेज रहा है।
23 फरवरी को अमेरिका की ओर से रूसी शिपिंग दिग्गज पर प्रतिबंध लगाने और 14 कच्चे तेल टैंकरों को संपत्ति के रूप में नामित करने के बाद रिलायंस सहित भारतीय रिफाइनर सोवकॉम्फ्लोट जहाजों पर कार्गो प्राप्त करने से कुछ दिन के लिए रुक गए थे। इस महीने की शुरुआत में भारत की यात्रा के दौरान अमेरिकी अधिकारियों ने 14 नामित एससीएफ जहाजों पर प्रतिबंधों की बात की ओर साथ ही यह भी कहा कि वाशिंगटन स्थिर वैश्विक तेल आपूर्ति चाहता है और उसने भारत से रूसी तेल आयात में कटौती करने के लिए नहीं कहा है। इसके बाद भारतीय रिफाइनर को फिर से रूसी तेल मिलने में मदद मिली। हालांकि एससीएफ बाल्टिका उन 14 जहाजों में से नहीं है जिन पर अमेरिका ने हाल के महीनों में प्रतिबंध लगाए हैं। एससीएफ और रिलायंस ने भी इस पर कोई कमेंट नहीं किया है।
भारत रूस से तेल का बड़ा खरीदार
गैबॉन के झंडे वाले एससीएफ बाल्टिका को तेल टैंकरों के बेड़े के हिस्से के रूप में एससीएफ की लिस्ट में शामिल किया गया है। जहाज का प्रबंधन यूएई की स्ट्रीम शिप मैनेजमेंट करती है। एक अन्य टैंकर व्लादिमीर तिखोनोव के रूसी तेल लेकर अगले सप्ताह आने की उम्मीद है। इसे भी स्ट्रीम शिप मैनेजमेंट द्वारा प्रबंधित किया जाता है। भारत रूसी समुद्री तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के कारण मास्को से तेल खरीदने से इनकार करने के बाद इसे डिस्काउंट पर बेचा जा रहा है।
फरवरी 2022 के बाद से भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ी खरीदार बन गया है। दिसंबर 2022 तके बाद से 13 महीनों में जामनगर में ही 3.2 बिलियन डॉलर का रूसी क्रूड आया है। इसे रूस को 5.5 बिलियन डॉलर में मंजूरी देने वाले देशों को बेच दिया। फिनलैंड के सीआरईए के अनुसार, अमेरिका ने भारत से 1.4 अरब डॉलर के तेल उत्पादों का आयात किया जो 800 मिलियन डॉलर के रूसी उत्पाद से बना था।
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