नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस की राजधानी मॉस्को पहुंच गए हैं। विदेश मंत्री यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्रियों की बैठक में शिरकत करेंगे। इस बैठक के अलावा जयशंकर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ बैठक करेंगे। दोनों के बीच शाम 6.30 से 7.30 बजे तक बैठक होगी।
भारत और रूस के विदेश मंत्री कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इनमें द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मामले प्रमुख हैं जिन पर बात होगी, हालांकि भारत-चीन सीमा विवाद पर रूस ने चर्चा करने से दूरी बनाई है। रूस इसे दो देशों के बीच का मामला मानता है और इसमें दखलअंदाजी न करने का रवैया अपनाया है। भारत और चीन को रूस आपसी बातचीत तेज करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। मंगलवार को एक वर्चुअल बैठक में दिल्ली स्थित रूसी राजदूतावास के डिप्टी चीफ रोमन बाबुश्किन ने कहा कि मॉस्को इस मसले में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप नहीं करेगा।
रोमन बाबुश्किन ने कहा, जब तक दोनों पक्ष हमसे आग्रह न करें, हम इसमें हस्तक्षेप करने नहीं जा रहे। भारत और चीन को तय करना होगा कि क्या वे इस तरह की मध्यस्थता को स्वीकार करते हैं? फिलहाल दोनों देशों के बीच विवाद सुलझाने के मुद्दे में हम शामिल होने नहीं जा रहे हैं। हम दोनों देशों के बीच एक सकारात्मक माहौल बनाने पर फोकस कर रहे हैं। बाबुश्किन ने कहा, ‘भारत और चीन के साथ हमारे खास संबंध हैं लेकिन यह किसी पर निर्भर नहीं है। हमें भरोसा है कि भारत और चीन आपसी संवाद के जरिए इस मसले को निपटा लेंगे।
क्या ब्रिक्स, एससीओ, आरआईसी भारत और चीन के बीच मध्यस्थता की कमान नहीं संभालेंगे? इस सवाल के जवाब में रूसी राजनयिक ने कहा, ‘जो संस्थागत नियम है, उसी के मुताबिक हर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। एक समझौते के तहत कोई भी बात होनी चाहिए। हमें समझना चाहिए कि अन्य सभी प्रतिभागी देश और इस खास मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं तो हमें भी उसका सम्मान करना चाहिए। हम इस नियम का भी पालन करते हैं कि एससीओ में किसी द्विपक्षीय विवाद पर बात न हो। रूस किसी भी विवाद को सुलझाने के लिए देशों को प्रोत्साहित करता है। तनाव बढ़ाने से अच्छा आपसी बातचीत के जरिये विवाद सुलझाना होता है।
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