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    भारत की दो ऑयल कंपिनयों के साथ डील करने से रूस किया इनकार, कहा- नही बचा है तेल

  • June 09, 2022


    नई दिल्ली. रूस(Russia) की सबसे बड़ी ऑयल निर्माता कंपनी रोसनेफ्ट (rosneft) ने भारत की दो सरकारी तेल कंपनियों के साथ कच्चे तेल की डील साइन करने से इनकार कर दिया है. ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि रोसनेफ्ट पहले ही कुछ और ग्राहकों के साथ तेल सप्लाय की डील कर चुका है. इसके बाद से उसके पास भारतीय कंपनियों (Indian companies) को देने के लिए तेल नहीं बचा है.

    यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के चलते पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे. इसके बाद से भारतीय कंपनियां रूस से सस्ता तेल खरीदने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि, इससे एक बात और साफ होती है कि रूस तमाम प्रतिबंधों के बावजूद कई देशों को तेल बेच रहा है.

    भारतीय कंपनियों का अनुरोध ठुकराया
    रिपोर्ट के मुताबिक, रूस से डील नहीं होने पर भारतीय कंपनियों को आने वाले समय में स्पॉट मार्केट से महंगा तेल खरीदना पड़ सकता है. इससे भारत (India) में तेल की कीमतें एक बार फिर बढ़ सकती हैं. भारत की सरकारी कंपनियों भारत पेट्रोलियम कॉर्प और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने छूट की पेशकश से आकर्षित होकर छह महीने के आपूर्ति सौदों के लिए इस साल की शुरुआत में रोसनेफ्ट के साथ बातचीत शुरू की थी. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से बताया गया है कि लेकिन रूस की कंपनी ने भारतीय कंपनियों का अनुरोध ठुकरा दिया है.



    एक कंपनी से हुई डील
    इधर, रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक सिर्फ देश की सबसे बड़ी कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्प (आईओसी) ने रोसनेफ्ट के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो हर महीने 6 मिलियन बैरल रूसी तेल खरीदेगा, जिसमें 3 मिलियन बैरल अधिक खरीदने का विकल्प होगा. सूत्रों ने कहा कि अन्य दो रिफाइनर के अनुरोधों को रूसी निर्माता ने ठुकरा दिया है. एक सूत्र ने कहा, “रोसनेफ्ट एचपीसीएल और बीपीसीएल के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है. वे कह रहे हैं कि उनके पास वॉल्यूम नहीं है.”

    पहले भारी डिस्काउंट दे रही थी रूस की कंपनी
    एक अन्य सूत्र ने कहा, “पहले कंपनियां अच्छी छूट दे रही थीं, लेकिन अब यह उपलब्ध नहीं है. ऑफर कम कर दिए गए हैं और छूट पहले की तरह अच्छी नहीं है, क्योंकि बीमा और माल ढुलाई की दरें बढ़ गई हैं.” इस मामले में रोसनेफ्ट, आईओसी, एचपीसीएल और बीपीसीएल ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया है. एशियाई खरीदारों की बढ़ती मांग को पूरा करने और यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के प्रभाव को दूर करने के लिए रूस अपने प्रमुख पूर्वी बंदरगाह कोज़मिनो से तेल निर्यात में लगभग पांचवां हिस्सा बढ़ा रहा है.

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