नई दिल्ली (New Delhi) । भारत (India) की अध्यक्षता में हुए जी20 शिखर सम्मेलन (G20 summit) को रूस (Russia) की ओर से सफल बताया गया है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Foreign Minister Sergei Lavrov) ने जी20 शिखर सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध (ukraine war) को हावी नहीं होने देने के लिए भारत की सराहना की. मीडिया से बात करते हुए लावरोव ने कहा कि भारत ने जी20 एजेंडे का यूक्रेनीकरण नहीं होने दिया. रूस ने नई दिल्ली घोषणापत्र में प्रयोग किए शब्दों के लिए हैरानी जताते हुए कहा है कि ऐसे घोषणापत्र की तो उन्हें उम्मीद ही नहीं थी.
रूसी विदेश मंत्री ने रविवार को जी20 के राजनीतिकरण के प्रयासों को रोकने के लिए भारत के प्रति आभार जताया. उन्होंने कहा कि यह शिखर सम्मेलन निश्चित रूप से सफल रहा है. जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की घोषणा पर आम सहमति पर लावरोव ने कहा, “जब वे इस पर सहमत हुए, तो शायद यह उनकी अंतरात्मा की आवाज थी. स्पष्ट रूप से कहें तो हमें इसकी उम्मीद नहीं थी.”
रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि हम यूक्रेन और रूस का उल्लेख करने वाले बयानों को घोषणा के बाकी काम से अलग नहीं कर सकते. इस साल घोषणा की मुख्य लाइन ग्लोबल साउथ के एकीकरण के बारे में है. लावरोव ने कहा, जी20 अपने मुख्य लक्ष्यों के लिए वास्तव में काम कर रहा है.
लावरोव ने कहा, “दिल्ली घोषणा अच्छे उद्देश्यों में से एक है और हम पहले से ही रास्ते पर हैं. अपनी बारी में हम इन सकारात्मक रुझानों को मजबूत करना जारी रखेंगे, जिसमें अगले साल ब्राजील की अध्यक्षता और 2025 में दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता शामिल है.”
रूसी विदेश मंत्री ने की पश्चिम की आलोचना
पश्चिम की आलोचना करते हुए रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि वेस्ट अपना आधिपत्य नहीं रख पाएगा क्योंकि हम दुनिया में सत्ता के नए केंद्र देख रहे हैं. उन्होंने कहा, पश्चिम ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकासशील देशों को सालाना 100 अरब अमेरिकी डॉलर देने के अपने वादे पर कुछ नहीं किया.
रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या बोले लावरोव
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम हो सकता है, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि फिलहाल यूक्रेनी अधिकारी रूसियों को शारीरिक रूप से नष्ट करने की धमकी दे रहे हैं.
लावरोव ने कहा, “हर कोई शांति चाहता है. करीब 18 महीने पहले, हम इस संघर्ष को सुलझाने के बारे में एक संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हुए थे. उसके बाद एंग्लो-सैक्सन ने ज़ेलेंस्की को इस पर हस्ताक्षर न करने का आदेश दिया क्योंकि उन्हें लगा कि वे हमसे कुछ स्वीकारोक्ति प्राप्त करने में सक्षम होंगे.”
विदेश मंत्री ने कहा, “रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने हाल ही में कहा था कि हमें बातचीत से कोई आपत्ति नहीं है. हालांकि ऐसी किसी भी बातचीत के लिए ज़मीनी हकीकतों पर विचार करने और उन कारणों को ध्यान में रखने की ज़रूरत है जो नाटो की आक्रामक नीति के कारण दशकों से जमा हो रहे हैं.”
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