डेस्क: समाचार एजेंसी पीटीआई ने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के हथियार व्यापार (Weapon-Trade) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि भारत को हथियारों का निर्यात करने में रूस (Russia) का हिस्सा पिछले पांच सालों में गिर गया है. हालांकि गिरावट के बावजूद डिफेंस थिंक-टैंक के मुताबिक रूस भारत के लिए सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ताओं में से एक बना हुआ है, जिसके बाद अमेरिका का स्थान आता है. (News9) ने सन 1962 से हथियारों की आपूर्ति के लिए भारत द्वारा विभिन्न देशों को दिए गए ऑर्डर का विश्लेषण किया. SIPRI के आंकड़ों से पता चलता है कि रूस हमेशा से भारत के लिए हथियारों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है. इसके बाद अमेरिका और इजराइल आते हैं, जिन्होंने 21वीं सदी के पहले दशक से हथियारों की एक बड़ी हिस्सेदारी की आपूर्ति की है.
20 सालों में कुछ हिस्सा अमेरिका और इजराइल को मिल गया
सन 1962 से 1990 तक, भारत को हथियारों की आपूर्ति करने वालों में यूक्रेन, रूस, फ्रांस, जर्मनी और नीदरलैंड प्रमुख रूप से शामिल थे. ये देश हवाई, नौसैनिक और सतही हथियारों सहित सभी प्रकार के गोला-बारूद की आपूर्ति कर रहे थे. लेकिन 20वीं सदी के अंतिम दशक की शुरुआत में यह ट्रेंड बदलने लगा. 1991 और 1995 के बीच, आधे से अधिक ऑर्डर रूस को दिए गए. इजराइल भी उस दौरान प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक के रूप में उभरा, जिसे उन पांच सालों में 20 प्रतिशत ऑर्डर दिया गया था. खरीद में खास तौर से डीजल इंजन, नौसैनिक बंदूकें, टॉरपीडो और एंटी-शिप मिसाइलें शामिल थीं. भारत को इस तरह के हथियारों की आपूर्ति करने वालों में फ्रांस और इटली भी प्रमुख रूप से शामिल थे. सन 2000 तक रूस भारत का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना रहा.
2005 के बाद रूस भारत को जितना हथियार निर्यात करता था उसका आधा हिस्सा अमेरिका और इजराइल ने हथिया लिया. SIPRI के आंकड़ों के मुताबिक, इन दोनों देशों के आयात का हिस्सा मिलाकर 45.2 प्रतिशत हो गया जो रूस के 24.7 प्रतिशत से बड़ा था. अगले 15 सालों में भी इजराइल और अमेरिका ने रूस पर अपना दबदबा बनाए रखा. नए आंकड़ों के मुताबिक, रूस (14.3 प्रतिशत) भारत को हथियार मुहैया कराने वाला तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. वहीं अमेरिका 21.4 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर और इजराइल 14.3 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर अपनी जगह बनाए हुए हैं.
एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर या मिसाइल में रूस है नंबर वन
भारत ने साल 1962 से अपने एक तिहाई से अधिक विमान (एयरक्राफ्ट) और संबंधित हथियार रूस से आयात किए हैं. SIPRI के आंकड़ों के अनुसार, 936 हथियारों में से 398 हथियारों का आयात रूस से किया गया था. इसके बाद बारी आती है फ्रांस की जिसने भारत को राफेल जेट बेचे. इजराइल और फ्रांस ने उस दौरान भारत को सौ से अधिक विमानों का निर्यात किया था.
जब मिसाइलों और निर्देशित बमों या गोले खरीद की बात आती है, तो भारत कई आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर है. हालांकि, इस कैटेगरी में भी रूस ने पहले स्थान पर अपनी जगह बनाए रखी है. पिछले 20 सालों में, भारत ने कई देशों से 80,000 से अधिक ऐसे हथियार खरीदे हैं जिनमें रूस के अलावा इजराइल, अमेरिका, फ्रांस, यूक्रेन और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं. इनमें से 85 फीसदी से ज्यादा हथियार रूस से आए हैं.
रडार और सोनार के मामले में रूस पीछे
रडार (रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग) और सोनार (साउंड नेविगेशन एंड रेंजिंग) हथियार (या निगरानी) की एकमात्र ऐसी कैटेगरी है जिसमें रूस का दबदबा नहीं है. 2000 के दशक की शुरुआत से, भारत ने सात देशों को इन श्रेणियों (कैटेगरी) के हथियारों के 337 ऑर्डर दिए हैं. इजराइल कुल 337 ऑर्डर में से 206 की आपूर्ति करके भारत को इस तरह के उपकरणों की आपूर्ति करते वाला सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है. SIPRI के अनुसार लिस्ट में शामिल दूसरे बड़े बड़े आपूर्तिकर्ताओं में फ्रांस (43), डेनमार्क (31) और यूएसए (24) शामिल हैं. भारत के लिए रडार और सोनार की आपूर्ति करने वाले बाकी देशो में जर्मनी, इटली और नीदरलैंड शामिल हैं.
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