नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध को 18 महीने गुजर जाने के बाद भी पुतिन के हाथ कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लग पाई है। रूस ने यूक्रेन के जापोरिज्जिया, लुहांस्क, खेरसॉन और दोनेत्सक को लगभग अपने कब्जे में आरंभ में ही ले लिया था। इसके बाद इन चारों क्षेत्रों में रूस ने रेफ्रेंडम भी कराया था। इसके बाद इन क्षेत्रों के रूस में मिलाने की घोषणा भी क्रेमलिन ने कर दी थी। बावजूद इन चार क्षेत्रों पर रूस अभी तक अपना पूर्ण कब्जा नहीं जमा पाया है। लिहाजा अब इन चारों क्षेत्रों में फिर से रेफ्रेंडम का ऐलान कर दिया गया है।
रूस अपने कब्जे वाले यूक्रेनी इलाकों में अब चुनाव करा रहा है। इसके लिए मतदान शुक्रवार से रविवार तक होगा। इन इलाकों पर अभी भी रूस का पूरी तरह से नियंत्रण नहीं है। रूस के कब्जे वाले इन क्षेत्रों में दोनेत्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और जापोरिज्जिया शामिल हैं। इन क्षेत्रों में रूस द्वारा स्थापित विधान इकाइयों के लिए मतदान की प्रक्रिया आज से शुरू होगी और यह रविवार को संपन्न होगी। यूक्रेन तथा पश्चिमी देशों ने रूस के इस कदम की निंदा की है। महाद्वीप के अग्रणी मानवाधिकार निकाय ‘काउंसिल ऑफ यूरोप’ ने इस सप्ताह कहा, “यह अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है, जिसकी रूस लगातार अनदेखी कर रहा है।”
यूक्रेन ने किया मतदान नहीं करने का आग्रह
रूस द्वारा मतदान कराने जाने का चारों तरफ विरोध शुरू हो गया है। यूक्रेन की संसद में एक बयान में कहा गया कि यह मतदान यूक्रेन के लोगों के लिए खतरा पैदा करता है। यूक्रेनी सांसदों ने अन्य देशों से मतदान के परिणामों को मान्यता न देने का आग्रह किया। राजनीतिक विश्लेषक अब्बास गैलियामोव ने कहा कि रूस इन इलाकों में हालात सामान्य होने का भ्रम बनाए रखने के उद्देश्य से मतदान जैसा कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा, “रूसी अधिकारी यह दिखावा करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि यहां सबकुछ योजना के अनुसार चल रहा है तथा सबकुछ ठीक है। जबकि ऐसा नहीं है।”
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