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मानवाधिकार परिषद से बाहर हुआ रूस, 93 सदस्यों ने समर्थन में की वोटिंग, भारत ने बनाई दूरी

April 08, 2022

न्यूयॉर्क । यूक्रेन (Ukraine) के बूचा समेत अन्य शहरों में रूसी सैनिकों की बर्बरता का परिणाम रूस (Russia) को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से बाहर होकर भुगतना पड़ा। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में गुरुवार को आयोजित हुए विशेष आपातकालीन सत्र में रूस को मानवाधिकार परिषद (human rights council) से निलंबित (Suspended) करने के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ।

अमेरिका की ओर से प्रस्तावित कदम पर यूएनजीए में हुए मतदान में 93 सदस्यों ने रूस को यूएनएचआरसी से बाहर करने के प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया। वहीं, 24 देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और 58 देशों ने मतदान से दूरी बनाए रखी। रूस-यूक्रेन मसले पर अपने पुराने रुख की तरह इस बार भी भारत ने किसी का पक्ष नहीं लिया। हालांकि, रूस ने यूएनजीए के इस कदम को गैरकानूनी करार दिया।


‘मानवाधिकार परिषद से रूस को बाहर करना विकल्प नहीं कर्तव्य है’
मतदान से पहले यूक्रेन के प्रतिनिधि ने कहा कि रूस की यूएनएचआरसी में सदस्यता को रद्द करना कोई विकल्प नहीं है, बल्कि एक कर्तव्य है। हम इस समय एक अनोखी स्थिति में हैं। एक संप्रभु राष्ट्र के क्षेत्र पर यूएनएचआरसी के एक सदस्य ने मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया है। उसके कार्य युद्ध अपराध के समान व मानवता के खिलाफ हैं।

चीन व बेलारूस समेत इन देशों ने किया प्रस्ताव के विरोध में मतदान
अल्जीरिया, बेलारूस, बोलिविया, बुरुंडी, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चीन, कॉन्गो, क्यूबा, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोरिया, एरित्रिया, इथियोपिया, गबोन, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, लाओस, माली, निकारागुआ, रूस, सीरियन अरब रिपब्लिक, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, वियतनाम और जिंबाब्वे ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया है।

यूक्रेनी विदेश मंत्री ने किया रूस के बाहर करने के फैसले का स्वागत
यूएनएचआरसी से रूस को बाहर करने के फैसले का यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा, मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र की इकाइयों में युद्ध अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं सभी सदस्य देशों का आभारी हूं जिन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया और इतिहास का सही पक्ष चुना।

भारत ने रखा अपना पक्ष
UN में भारत ने कहा कि मानवाधिकारों की घोषणा के मसौदे से लेकर मानवाधिकारों की रक्षा करने में भारत आगे रहा है। हम मानते हैं कि सभी निर्णय उचित प्रक्रिया का सम्मान करते हुए और लोकतांत्रिक संरचना के रूप में लिए जाने चाहिए। यह अंतर्राष्ट्रीय संगठनों विशेष रूप से UN पर भी लागू होता है।

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