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    रूस ने दिया था संकट के समय साथ, अब पूरी दुनिया के खिलाफ जाकर ये 9 देश निभा रहे पुतिन से दोस्‍ती

  • March 06, 2022

    नई दिल्ली। यूक्रेन से युद्ध लड़ रहा (Russia Ukraine War) रूस दुनिया से पूरी तरह अलग-थलग पड़ गया है। इसके बावजूद दुनिया के सभी मुल्कों के खिलाफ जाकर रूस के साथ नौ देश डटे (Nine countries stand with Russia) हैं। इसका प्रमुख कारण रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) का इनके राष्ट्राध्यक्षों से बेहतर संबंध है। पुतिन (Putin) ने इन नौ देशों के राष्ट्राध्यक्षों की कठिन समय में मदद की है। इसी का नतीजा है कि दुनिया के ये नौ देश विपरित हालात में भी रूस के साथ हैं। आइए जानते हैं इन नौ देशों से रूस और उसके राष्ट्राध्यक्षों से पुतिन के साथ संबंधों के बारे में।



    बेलारूस: राष्ट्रपति को सत्ता से बेदखल होने से बचाया था
    रूस से सिर्फ जमीनी सीमा साझा नहीं करता है। रूस के साथ आर्थिक और राजनीतिक रिश्ते भी मजबूत हैं। बेलारूस में होने वाले व्यापार का 48 फीसदी हिस्सा सीधे रूस से होता है। बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकासहेंको का प्रभाव भी पुतिन जैसा ही है। पुतिन ने एलेक्जेंडर का साथ उस वक्त दिया जब सितंबर 2020 में उनके खिलाफ आवाज उठने लगी थी। पुतिन के सहयोग का ही नतीजा है कि लुकाहेंस्क 1994 से लगातार बेलारूस के राष्ट्रपति बने हुए हैं।

    सैन्य सहयोग
    यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने में बेलारूस की भी अहम भूमिका है। रूसी सैनिकों को यूक्रेन में दाखिल होने में मदद की। इसके अलावा यूक्रेन सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं ने युद्ध से पहले संयुक्त अभ्यास भी किया। रूस बेलारूस की सेना को मदद करता रहा है।

    सीरिया: यूक्रेन पर रूसी कार्रवाई से दुरुस्त हो रहा इतिहास
    सीरिया के राष्ट्रपति बशर-अल-असद पर युद्ध अपराध और रसायनिक हथियारों के इस्तेमाल को लेकर मुकदमा चल रहा है। असद के खिलाफ लगे इन आरोपों को पुतिन झुठलाते रहे हैं। रूसी कार्रवाई के बाद असद ने बयान दिया था कि यूक्रेन में जो कुछ हो रहा है उससे इतिहास को दुरुस्त किया जा रहा, उसे दोबारा हासिल किया जा रहा है जो सोवियत संघ के टूटने के बाद असंतुलित हो गया था। असद 17 जुलाई 2000 से सीरिया की सत्ता पर काबिज हैं।

    सैन्य मदद
    व्लादिमीर पुतिन ने 4 सितंबर 2015 को ऐलान किया था कि वो असद सरकार को सैन्य हथियारों से लेकर अन्य सभी तरह की मदद मुहैया करा रहे हैं। रूस ने असद के साथ मिलकर सीरियाई विद्रोहियों के खिलाफ युद्ध छेड़कर असद का समर्थन हासिल कर लिया।

    वेनेजुएला: आर्थिक तंगी में मदद कर बनाया दोस्त
    लैटिन अमेरिकी देश वेनेजुएला रूस का अहम सहयोगी है। हाल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को सीधे तौर पर आर्थिक मदद पहुंचाई थी। इसके अलावा राष्ट्रपति चुनाव में मादुरो की जीत पक्की करने के लिए रूस ने हर संभव मदद की। रूस यहां औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है। रूस और वेनेजुएला की सेना रूस के साथ नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास करती है और अपने सीमावर्ती पश्चिमी देशों को अपनी ताकत का अहसास कराते रहते हैं।

    क्यूबा: नाटो देशों के खिलाफ रूस की भाषा
    यूक्रेन पर हमले के लिए दुनिया रूस को जिम्मेदार ठहरा रही है। वहीं क्यूबा अमेरिका समेत अन्य नाटो देशों को मौजूदा हालात के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। क्यूबा विदेश मंत्रालय ने बयान दिया है कि अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश रूस को यूक्रेन के खिलाफ कार्रवाई को लेकर धमकाने के साथ उकसा रहे थे। कहा जाता है कि 1959 में फिदेल कास्त्रों के नेतृत्व में क्यूबा क्रांति के बाद सोवियत संघ से इसकी दोस्ती बढ़ी और रूस सबसे करीबी बन गया। सत्ता में पुतिन आए तो रिश्ते और प्रगाढ़ हो गए।

    म्यांमार: रूस ने दिखाया वो दुनिया की महाशक्ति
    म्यांमार में सेना ने तख्तापलट कर दिया है। यूक्रेन में रूसी कार्रवाई को सही ठहराते हुए म्यांमार सेना के प्रवक्ता जनरल जॉव मिन तुन के कहा है कि वो इस हालात में रूस के साथ हैं, क्योंकि रूस ने अपनी संप्रभुता को बचाने के लिए ये कदम उठाया है। म्यांमार सेना का कहना है कि रूस ने अपनी इस कार्रवाई से दुनिया को दिखा दिया है कि वो दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश है। वर्ष 2007 में रूस और म्यांमार ने परमाणु शोध पर हस्ताक्षर भी कर चुके हैं। इसके अलावा रूस सैन्य सहयोग भी देता है।

    ये चार देश भी पुतिन के साथ खड़े
    यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने पर चौतरफा घिरे रूस को उत्तर कोरिया, चीन और पाकिस्तान, सर्बिया का भी साथ मिल रहा है। उत्तर कोरिया का कहना है कि पश्चिमी देश आधिपत्य स्थापित करना चाहते हैं क्योंकि वे घमंड में चूर हैं। चीन खुलकर सामने तो नहीं आया है लेकिन रूस के साथ उसकी दोस्ती गहरी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का युद्ध के बीच रूस दौरा रिश्तों को बयां करता है। सर्बिया रूस का करीबी है लेकिन वो संतुलित अंदाज में लगातार शांति की अपील कर रहा है।

    प्रतिबंधों से सहमें
    विशेषज्ञों का आकलन है कि पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगे प्रतिबंधों से ये देश सहमे हुए हैं। युद्ध लंबा चलता है और रूस की अर्थव्यवस्था बेपटरी होती है तो कुछ हद तक रूस पर निर्भर इन देशों की स्थिति भी बिगड़ सकती है। ऐसे में इन देशों में भी हालात पलट सकते हैं। इनके राष्ट्राध्यक्षों के खिलाफ भी विरोध के सुर सुनने को मिल सकते हैं।

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