नई दिल्ली। रूस और पाकिस्तान की करीबी लगातार बढ़ती जा रही है। रूस की सेना का एक दस्ता गुरुवार को संयुक्त सैन्य अभ्यास के लिए पाकिस्तान पहुंच गया है। पाकिस्तान और रूस की सेना के इस संयुक्त सैन्य अभ्यास को DRUHZBA-5 (द्रजबा) नाम दिया गया है।
पाकिस्तान की सेना ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। पाक सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान और रूस के बीच यह पांचवां संयुक्त सैन्य अभ्यास है। ये संयुक्त अभ्यास दो सप्ताह तक चलेगा। बयान में कहा गया है, इस अभ्यास का उद्देश्य आतंकवाद से निपटने के दोनों देशों की सेनाओं के अनुभवों को साझा करना है।
पाकिस्तान की सेना की मीडिया विंग के मुताबिक, इस सैन्य अभ्यास में स्काई डाइविंग और बंधकों को छुड़ाने जैसी गतिविधियां होंगी। पाकिस्तान-रूस का संयुक्त सैन्य अभ्यास द्रजबा हर साल आयोजित किया जाता है। साल 2016 से ही पाकिस्तान और रूस की सेनाएं संयुक्त अभ्यास करती रही हैं। इसमें आतंकवाद विरोधी और विशेष सैन्य ऑपरेशन भी शामिल हैं।
हालांकि, रूस की पाकिस्तान के साथ सैन्य साझेदारी को लेकर भारत विरोध दर्ज कराता रहा है। भारत ने रूस के सामने कई बार आपत्ति जाहिर की है कि आतंकवाद को संरक्षण देने वाले पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग करना गलत है और इससे समस्याएं और बढ़ेंगी।
हालांकि, रूस भारत की इस आपत्ति को अनसुना करता रहा है। इसी साल सितंबर महीने में पाकिस्तान की सेना ने रूस के शहर असतराखान में ‘कावकाज 2020’ सैन्य अभ्यास में भी हिस्सा लिया था। पिछले साल रूसी सैन्य अभ्यास सेंतर 2019 में भी पाकिस्तान ने हिस्सा लिया था। इस सैन्य अभ्यास में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान भी शामिल हुए थे।
शीतयुद्ध के समय पाकिस्तान रूस के विरोधी गुट यानी अमेरिका के साथ था। हालांकि, नए वैश्विक क्रम में दोनों के बीच करीबी बढ़ी है जो कि भारत के लिए चिंताजनक है। पाकिस्तान और रूस के बीच सैन्य साझेदारी भी लगातार मजबूत हो रही है।
रूस ने पिछले कुछ सालों में तालिबान के साथ संपर्क भी बढ़ाया है जबकि भारत का रुख इससे उलट है। रूस खुद भी तालिबान के खिलाफ नॉर्दर्न एलायंस को समर्थन देता रहा है। तालिबान पर पाकिस्तान का अच्छा-खासा प्रभाव है।
रूस अफगानिस्तान में नई परिस्थितियों के मद्देनजर पाकिस्तान को एक अहम भूमिका में देख रहा है। साल 2016 में चीन, पाकिस्तान और रूस ने अफगानिस्तान को लेकर एक बैठक भी की थी लेकिन इसमें अफगान प्रतिनिधियों को शामिल नहीं किया था। आलोचना होने पर बाद में इसमें अफगानिस्तान, ईरान और भारत को शामिल किया गया। ट्रंप प्रशासन से पाकिस्तान को मिलने वाली सैन्य सहायता बंद हो गई थी। पाकिस्तान और अमेरिका के संबंध भी वर्तमान में बहुत अच्छे नहीं हैं, ऐसे में पाकिस्तान रूस और चीन के साथ ही अपना भविष्य देख रहा है।
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