मास्को। रूस में ये आशंका (threat) गहरा गई है कि जल्द ही अमेरिका (America) उस पर एक बड़ा साइबर हमला (Cyber attack) करने वाला है। अमेरिकी मीडिया(American media) में छपी कुछ खबरों से यहां इस अंदेशे की शुरुआत हुई। रूसी अधिकारियों ने इस संभावना से इनकार नहीं किया है। अमेरिकी और कुछ दूसरे पश्चिमी देशों के समाचार माध्यमों में आई खबरों के मुताबिक अमेरिका (America) उस पर पिछले साल हुए बड़े साइबर हमले(Cyber attack) का बदला लेने की तैयारी कर रहा है। अमेरिका (America) उस हमले के लिए रूस (Russia) को जिम्मेदार मानता है।
पिछले साल हुए हमले को सोलरविंड्स (Solarwinds ) नाम से जाना गया था। उसके तहत हैकरों ने अमेरिका (America) की कई सरकारी एजेंसियों और निजी कंपनियों के डाटा नेटवर्क (data network) में घुसपैठ (Infiltration) कर ली थी। तब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति थे। आरोप है कि ट्रंप का रूस के प्रति रुख नरम था। इसलिए उन्होंने तब कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की। अब पिछले कई दिनों से अमेरिका और यूरोपीय मीडिया में ये चर्चा चल रही है कि जो बाइडेन प्रशासन ने रूस को करारा जवाब देने की तैयारी कर ली है।
इन खबरों के मुताबिक रूसी नेटवर्क पर कई तरह की गुप्त कार्रवाइयां की जाएंगी। इस दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन और रूस की खुफिया एजेंसियों और रूसी सेना के नेटवर्क्स को खास निशाना बनाया जाएगा। लेकिन उनके अलावा नेटवर्क्स को हमले से बाहर रखा जाएगा।
रूस ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका से कहा है कि वह इन खबरों का खंडन करे। राष्ट्रपति पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा- ‘खबरों में इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया गया है कि उस साइबर अपराध में अमेरिका सरकार शामिल होगी। यह बेशक हमारे लिए गहरी चिंता की बात है।’ पेस्कोव ने कहा कि रूस का कभी ऐसे किसी साइबर अपराध या साइबर आतंकवाद से कोई संबंध नहीं रहा, जिसका आरोप उस पर लगाया गया है। गौरतलब है कि रूस ने लगातार इस बात का खंडन किया है कि अमेरिका पर हुए साइबर हमलों के पीछे उसका हाथ था।
बुधवार को यहां तो कई पत्रकारों ने ऐसी अटकलें भी लगाईं कि अमेरिकी हैकरों ने रूस के खिलाफ अपनी मुहिम शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि इसी वजह से कई रूसी वेबसाइट ऑफलाइन हो गई हैं। उन अटकलों में कहा गया कि क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय), रूसी संसद और रूस के मीडिया रेगुलेटर की वेबसाइटों के होमपेज इस हमले से प्रभावित हुए हैं।
लेकिन रूस में इंटरनेट के रखरखाव के लिए जिम्मेदार एजेंसी रोसटेलीकॉम ने कहा कि समस्या तकनीकी कारणों से आई थी। उसने कहा कि एक उपकरण के ठीक से काम ना करने की वजह से दिक्कत आई और ये समस्या स्थानीय थी। रोसटेलीकॉम ने ध्यान दिलाया कि कुछ समय बाद सभी वेबसाइटें सामान्य ढंग से काम करने लगीं।
बुधवार को ही रूसी मीडिया रेगुलेटर ने एलान किया कि उसने रूस में अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर की स्पीड को धीमी करना शुरू कर दिया है। उसने कहा कि ये कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि ट्विटर ने ऐसे कंटेंट को अपने प्लेटफॉर्म से नहीं हटाया, जो नाबालिग लोगों में आत्महत्या के लिए उकसाते हैं, या जिनमें बाल पोर्नोग्राफी और ड्रग्स के सेवन संबंधित सूचनाएं हैं।
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