वाशिंगटन। यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) को लेकर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में पेश किए गए प्रस्ताव पर अमेरिका और रूस (America and Russia) एक साथ खड़े नजर आए। तीन साल पहले रूस के यूक्रेन पर आक्रमण किए जाने के बाद यह ऐसा पहला मौका रहा, जब ने यूक्रेन की ओर से UN में पेश मसौदा प्रस्ताव को यूएस ने रोकने का प्रयास किया। प्रस्ताव में यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में सैन्य वापसी, शत्रुता को समाप्त करने और शांतिपूर्ण समाधान की मांग की गई है। यूरोपीय देशों और जी7 (अमेरिका को छोड़कर) ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिससे यह पारित हो गया। मालूम हो कि भारत और चीन ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
यूएन में पेश प्रस्ताव के पक्ष में 93 देशों ने मतदान किया जिसमें जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और जी7 (अमेरिका को छोड़कर) जैसे प्रमुख देश शामिल हैं। रूस, अमेरिका, इजरायल और हंगरी सहित 18 ने इसके खिलाफ वोट डाले। भारत, चीन और ब्राजील सहित 65 देशों ने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया। ध्यान देने वाली बात है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर बीते 3 बरसों में अमेरिका हमेशा यूरोपीय देशों के साथ मतदान करता था। यह पहली बार है जब उसने अलग रास्ता चुना है। अमेरिका में आया यह बदलाव यूरोपीय पक्ष से अलग होने का संकेत देता है। यह अमेरिकी नीति में एक बड़ा बदलाव भी दर्शाता है।
यूक्रेन से रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग
प्रस्ताव पास हो जाने से संयुक्त राष्ट्र महासभा ने उसे अपनी मंजूरी दे दी। इसमें आक्रमण के 3 साल पूरे होने पर यूक्रेन से सभी रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी की मांग भी की गई है। कुल 193 सदस्यीय विश्व निकाय में 93 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया जबकि 18 ने विरोध किया। भारत सहित 65 सदस्य मतदान से अनुपस्थित रहे। इस निकाय के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन इन्हें विश्व जनमत का संकेतक माना जाता है। पिछले प्रस्तावों में 140 से अधिक देशों ने रूस की आक्रामकता की निंदा की थी। चार यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे को हटाने की मांग की गई थी।
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