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कालीबिल्लौद में बना ग्रामीण भारत का पहला ट्रीटमेंट प्लांट

October 03, 2021

इंदौर। संतोष मिश्र
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (Swachh Bharat Mission Rural) के अंतर्गत गांवों ( Villages) में स्वच्छता पर आधारित विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। इंदौर जिला वर्ष 2016 में खुले में शौचमुक्त हुआ एवं लगातार इसे बनाए हुए है। वहीं शहर के ग्रामीण क्षेत्र कालीबिल्लौद (Kalibilloud) में ग्रामीण भारत का पहला फिकल स्लाज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर पूरी तरह तैयार हो गया है।
इंदौर (Indore)  के ग्रामीण क्षेत्र (Rural Area) खुले में शौचमुक्त होने के बाद यह आवश्यकता महसूस हुई कि जो शौचालय सेप्टिक टैंक (Septic Tank)  के साथ बने हैं, उन्हें खाली कराने एवं निकलने बाले मल का भी उचित निपटान होना चाहिए, तभी वास्तविक रूप में जिला खुले से शौचमुक्त रह पाएगा। चूंकि सेप्टिक टैंक (Septic Tank) को खाली करने के बाद टैंकर को कहीं भी खुले में या किसी जलस्रोत में डाल दिया जाता है, जिससे जलस्रोत खराब हो रहे हैं और गंदगी बढ़ रही है। इसके निराकरण एवं उचित निपटान के लिए वाटर ऐड संस्था के सहयोग से मानव मल-जल प्रबंधन इकाई की स्थापना ग्राम पंचायत कालीबिल्लौद (Gram Panchayat Kalibilloud) में की गई। ये इकाई पूरी तरह से प्रकृति आधारित तकनीक पर काम करती है, जिसमें किसी मशीन (Machine) का उपयोग नहीं किया जाता। एक फिल्टर बेड में मल-जल को डाला जाता है, जिसमें फिल्टर (Filter) होकर स्वच्छ पानी अलग हो जाता है एवं ठोस अपशिष्ट अलग रह जाता है, जो एक अच्छी खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
5 अक्टूबर को होगा लोकार्पण
इस इकाई का लोकार्पण पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के मुख्य आतिथ्य में 5 अक्टूबर को किया जाएगा।


30 गांवों के 50 हजार लोगों को लाभ
ये इकाई तीन केएलडी की क्षमता की है, जो लगभग 40 हजार की जनसंख्या के लिए निर्मित है। इससे 30 गांवों के 50 हजार लोगों को लाभ मिलेगा। आवश्यकता के अनुसार इसका विस्तार किया जा सकेगा।
खुले में टैंकर खाली करने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई
जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चंद्र  (District Panchayat CEO Himanshu Chandra) ने बताया कि प्लांट के संचालन की प्रक्रिया तैयार की जा रही है। 5 तारीख से काम शुरू भी हो जाएगा। इसके बाद भी खुले में टैंकर खाली करने वाले संचालकों पर कार्रवाई की जाएगी। इस तरह की व्यवस्था से पूरे जिले को जोडऩे की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। निश्चित रूप से स्वच्छता की ओर ये बड़ा कदम है।


डेढ़ साल पहले निर्माण शुरू हुआ… 50 लाख खर्च आया
इस इकाई का निर्माण कार्य डेढ़ साल पहले शुरू किया गया। इसकी लागत 30 लाख रही। इसके साथ स्टोर रूम, प्रशिक्षण रूम सहित प्रोजेक्ट के अन्य कार्यों पर 50 लाख रुपए खर्च हुए हैं।
तीन टैंकर खाली करने की क्षमता स्वयं सहायता समूह को मिलेगा रोजगार
इस प्लांट में प्रतिदिन तीन टैंकर खाली करने की क्षमता है। प्लांट के संचालन के लिए स्वसहायता समूह को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे उन्हें रोजगार (Employment) भी मिल सकेगा।

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