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    डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा रुपया

  • September 23, 2022

    नई दिल्ली। अमेरिकी डॉलर (U.S. Dollar) के मुकाबले रुपये में गिरावट लगातार जारी है। शुक्रवार को रुपया कमजोर हाेते हुए अब तक के सबसे निचले स्तर (lower level) पर पहुंच गया है। शुक्रवार को शुरुआती सेशन में ही रुपया 39 पैसे की कमजोरी के साथ 81.81 के स्तर पर पहुंच गया। फिलहाल रुपया (Rupee) डॉलर के मुकाबले 80.99 के स्तर पर होल्ड कर रहा है। इससे पहले गुरुवार के कारोबारी सेशन (business session) में रुपया 83 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ 80.79 के लेवल पर बंद हुआ था। रुपये में यह एक दिन में आई अब तक की सबसे बड़ी गिरावट थी।

    बाजार के जानकारों का मानना है कि बीते दो दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपये के तेजी से कमजोर होने के दो सबसे अहम कारण हैं। पहला अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना है। फेड के इस फैसले से डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ है, जिस कारण रुपया पर दबाव बढ़ा वह पिछले कारोबारी दिन एक ही दिन में 83 पैसे फिसलकर 80.79 के लेवल पर पहुंच गया। शुक्रवार को भी फेड के फैसले का असर बाजार दिखा और रुपया 39 पैसा और टूटकर 81.18 के लेवल पर पहुंच गया।

    बताया जा रहा है कि जिस अक्रामक तरीके से फेड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है उससे दुनियाभर की करेंसी में कमजोरी आएगी। माना जा रहा है कि आने वाले समय में रुपये में और गिरावट हो सकती है। हालांकि फॉरेक्स मार्केट के कुछ जानकार यह भी मानते हैं कि रुपया किस लेवल तक गिर सकता है इस बारे में लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है। बाजार में रुपये की कमजोरी का दूसरा कारण पूरी दुनिया में लगातार बढ़ रही महंगाई है। इस कारण कई देशों में मंदी की आशंका गहरा गई है। इस कारण भी रुपया कमजोर होने की राह पर है।


    फॉरेक्स मार्केट के जानकार मानते हैं कि डॉलर इंडेक्स में मजबूती से रुपये में आधा से पौने फीसदी की गिरावट आनी चाहिए थी पर यह एक से सवा फीसदी तक लुढ़क गया है। ऐसे में अब बाजार की नजर इस बात पर टिकी है कि केंद्रीय बैंक आरबीआई गिरते रुपये को संभालने के लिए क्या कदम उठाता है? हालांकि इस बात की संभावना कम है कि आरबीआई इस बार रुपये पर लगाम लगाने की कोशिश करेगा। क्योंकि रुपया 80 का लेवल पहले ही ताेड़ चुका है। आरबीआई इंतजार कर सकता है कि किस स्तर पर जाकर रुपया स्टेबल होता है या इसका अलग लेवल क्या है?

    यह देखना दिलचस्प होगा कि आरबीआई किस लेवल पर रुपये को डिफेंड करने की कोशिश करेगा। हालांकि यह बात भी तय है कि अगर रुपया 80 के नीचे आता है तो फिर इसमें खरीदारी शुरू होगी। जिससे हालात कुछ सुधर सकते हैं। बाजार की फिलहाल जो स्थिति है उसे देखकर फॉरेक्स बाजार के जानकार बताते हैं कि यह 81.50 से 82 तक का स्तर छू सकता है। इसके बाद गेंद आरबीआई के पाले में होगी। वहां आरबीआई अपनी ओर से दखल दे सकता है। फिलहाल अगर आरबीआई की ओर से रुपये को मजबूत करने की कोई पहल की जाती है तो इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आ सकती है जो पिछले कुछ समय से लगातार घटा है। पहली बार जुलाई के महीने में रुपया 80 रुपये के स्तर पर पहुंचा था।

    अमेरिका में लगातार बढ़ रही महंगाई से निपटने के लिए यूएस फेडरल रिजर्व में बीते बुधवार को इस वर्ष लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी का एलान किया है। फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने ब्याज दरों में 0.75% प्रतिशत बढ़ोतरी का एलान किया है। यूएस फेड ने आने वाले समय में और कड़े निर्णय लेने के भी संकेत दिए हैं। अगर फेड की ओर से भविष्य में ब्याज दरों में और बढ़ोतरी होती है तो भारतीय मुद्रा में और सिकुड़न आ सकती है।

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